मुंबई: इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च ने भारत के समूचे बैंकिंग क्षेत्र के परिदृश्य को वित्त वर्ष 2021-22 के लिए नकारात्मक से स्थिर कर दिया है।
हालांकि, रेटिंग एजेंसी का मानना है कि आगे चलकर खुदरा ऋण खंड में दबाव बढ़ सकता है।
वहीं निजी क्षेत्र के बैंकों के लिए परिदृश्य को पहले की स्थिर श्रेणी में कायम रखा है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि बैंकिंग प्रणाली में कुल दबाव यानी सकल गैर-निष्पादित आस्तियां (जीएनपीए+पुनगर्ठित ऋण) बढ़कर 30 प्रतिशत पर पहुंच सकता है। 2020-21 की दूसरी छमाही में खुदरा ऋण खंड में इसमें 1.7 गुना की वृद्धि हो सकती है।
एजेंसी के निदेशक (वित्तीय संस्थान) जिंदल हरिया ने कहा, ‘‘पिछले नौ माह के दौरान बैंकों को अपनी पुरानी दबाव वाली परिसंपत्तियों के लिए प्रावधान को बढ़ाने का मौका मिला।
ये दबाव वाली परिसंपत्तियां महामारी से पहले की थीं।
हमारा अनुमान है कि चालू वित्त वर्ष के अंत तक इन गैर-निष्पादित आस्तियों पर प्रावधान बढ़कर 75 से 80 प्रतिशत पर पहुंच जाएगा। इससे बैंकों को कोविड के दबाव को झेलने की गुंजाइश मिलेगी।’’
एजेंसी ने चालू वित्त वर्ष के लिए ऋण की वृद्धि के अनुमान को 1.8 प्रतिशत से बढ़ाकर 6.9 प्रतिशत कर दिया गया है।
अगले वित्त वर्ष 2021-22 के लिए इसे 8.9 प्रतिशत किया गया है।