रांची: हाईकोर्ट के समक्ष शिलापट्ट लगाने से रोकने के बाद मंगलवार को पत्थलगड़ी समर्थकों के प्रतिनिधमंडल ने राज्यपाल से मुलाकात की।
मुलाकात के बाद पत्थलगड़ी समर्थकों ने एलान किया है कि वह झारखंड विधानसभा व हाईकोर्ट के सामने पत्थलगड़ी अवश्य करेंगे।
राज्यपाल से मिलकर निकले पत्थलगड़ी समर्थकों ने बताया कि राज्यपाल ने उन्हें कहा है कि यह संवैधानिक मामला है और इसका अध्ययन करने के बाद ही निर्णय से अवगत कराया जायेगा।
कुडुख नेशनल कौंसिल के बैनर तले आए आदिवासी समाज के लोगों ने साफ तौर पर कहा है कि उन लोगों की तरफ से रांची सहित सभी अनुसूचित क्षेत्रों के प्रमुख स्थानों पर शिलापट्ट हर हाल में लगाया जाएगा।
इसके लिए हम लोगों को किसी की अनुमति लेनी आवश्यक नहीं है।
मौके पर शिष्टमंडल में शामिल पहड़ा राजा, फदयूस लकड़ा ने कहा कि संवैधानिक व्यवस्था के तहत उनकी मांगें हैं, जिसे पूरा किया जाना चाहिए।
हालांकि इस संदर्भ में राज्यपाल से मुलाकात के दौरान शिष्टमंडल को कोई ठोस आश्वासन न मिलने से आंदोलनकारी निराश दिखे।
राजभवन पहुंची जयपाल सिंह मुंडा की पोती जहांआरा कच्छप ने मांगों को दुहराते हुए कहा कि इन क्षेत्रों में चुनाव कराना असंवैधानिक है।
मुख्यमंत्री चुनाव जीतकर आते हैं , जबकि राज्यपाल स्टेट कस्टोडियन है। इसलिए मुख्यमंत्री के बजाय हम लोग राज्यपाल के पास आए हैं।
हाथों में लाल, उजला और काला रंग का झंडा लेकर राजभवन पहुंचे इन आंदोलनकारियों ने साफ तौर पर कहा कि उनकी मांगें पूरी होने तक आंदोलन जारी रहेगा।
राजभवन पहुंचने वालों में फदयूस लकड़ा, लोथर टोपनो, धनेश्वर टोप्पो, जनार्दन टाना भगत, फोदो उरांव और जयपाल सिंह मुंडा की पोती जहांआरा कच्छप शामिल हैं।
उल्लेखनीय है कि बीते सोमवार को राजधानी रांची में सोमवार को पत्थलगड़ी समर्थक झारखंड हाई कोर्ट के सामने पहुंचे।
इस दौरान समर्थकों ने संविधान की पांचवी अनुसूची के तहत अपने अधिकारों का हवाला देते हुए शिलापट्ट लगाने की कोशिश की।
पुलिस ने सभी लोगों को समझा-बुझाकर वापस भेज दिया। पत्थलगड़ी समर्थकों ने काफी देर तक डोरंडा स्थित अंबेडकर चौक पर नारेबाजी की।
उनके हाथ में सफेद, काला और लाल रंग के झंडे भी थे।
शिलापट्ट पर लिखा था कि रांची, लोहरदगा, गुमला, सिमडेगा, लातेहार, पूर्वी सिंहभूम, पश्चिमी सिंहभूम, सरायकेला-खरसवां, साहेबगंज, दुमका, पाकुड़ और जामताड़ा अनुसूचित जिला है।
अनूसूचित जिले में अभी भी झारखंड सरकार का मौजूदा कानून लागू है।
जबकि झारखंड सरकार के कानून का विस्तार इन इलाकों में नहीं किया जा सकता है। अनुसूचित क्षेत्रों में आम जनता के लिए भी स्वतंत्रता का अधिकार नहीं है।
उल्लेखनीय है कि खूंटी सहित अन्य जिलों में पत्थलगड़ी को लेकर प्राथमिकी दर्ज की गई थी। उसे मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने पहली कैबिनेट की बैठक में वापस लेने का एलान किया था।
खूंटी से ही पत्थलगड़ी आदोलन की शुरुआत हुई थी। खूंटी के भंडरा गांव में हुई घटना को लेकर खूंटी थाने में 24 जून 2017 पहला मामला दर्ज हुआ था।
पत्थलगड़ी को लेकर खूंटी जिले के विभिन्न थानों में कुल 19 मामले दर्ज किये गए थे। इसमें 172 नामजद सहित हजारों अन्य शामिल हैं।
इनमें काकी में प्रशासनिक अधिकारियों को रात भर बंधक बनाने जैसे संगीन मामले भी शामिल हैं।