Shehla Rashid and Hardik Patel: कभी नरेंद्र मोदी सरकार की मुखर आलोचना करने वाले जेएनयू की पूर्व छात्र नेता शहला राशिद और पाटीदार आंदोलन के अगुवा हार्दिक पटेल की राजनीति ने बड़ा यू-टर्न लिया है।
दोनों ही नेता, जो कभी बीजेपी विरोधी अभियानों के चेहरे हुआ करते थे, अब सरकार की नीतियों के समर्थक बन चुके हैं।
इस राजनीतिक बदलाव के बीच बीजेपी शासित राज्यों ने इन दोनों नेताओं के खिलाफ दर्ज देशद्रोह के मुकदमों को वापस लेने का फैसला किया है।
एक हफ्ते में दो अहम फैसले
देश की अदालतों में पिछले एक सप्ताह में दो महत्वपूर्ण घटनाएं घटीं। हार्दिक पटेल, जो कभी पाटीदार आरक्षण आंदोलन के जरिए बीजेपी के लिए सिरदर्द बने थे, अब पार्टी के विधायक हैं। दूसरी ओर, शहला राशिद, जिन्होंने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने का विरोध किया था, अब केंद्र की नीतियों से सहमति जताती नजर आ रही हैं।
BJP विरोध से समर्थन तक का सफर
कभी सड़क से अदालत तक संघर्ष करने वाले इन दोनों नेताओं की राजनीतिक स्थिति अब पूरी तरह बदल चुकी है। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि क्या राजनीतिक रुख बदलने का इन मुकदमों की वापसी से कोई संबंध है? या फिर यह महज संयोग है?