Aizawl News: मिजोरम राज्य में फल और चावल से बनी शराब और बीयर की बिक्री की अनुमति दी जा सकती है। एक अधिकारी ने इसकी जानकारी दी है। वहीं, CM ने साफ कहा कि मौजूदा शराबबंदी कानून को हटाने के बारे में वह नहीं सोच रहे हैं।
मिजोरम की जोरम पीपल्स मूवमेंट (ZPM) सरकार बुधवार को शराब और बीयर पर संशोधन बिल लाने जा रही है।
शराब और बीयर पर संशोधन बिल
विभागीय मंत्री लालनगिहलोवा हमार उस बिल पेश करेंगे, जिसमें राज्य के भीतर उत्पादन होने वाले चावल और फल से बनी शराब और बीयर की बिक्री, वितरण और निर्माण की अनुमति देने का प्रस्ताव है। यह केवल लाइसेंस धारकों के लिए होगा।
साथ ही यह बिल राज्य में पारंपरिक मिजो शराब की बिक्री की भी इजाजत देगा। CM ने विधानसभा में 2025-26 के बजट को पेश करने के बाद पत्रकारों से कहा कि उनकी सरकार शराब की दुकानों को खोलने की इजाजत नहीं देगी, लेकिन राज्य में स्थानीय रूप से उत्पादित शराब और बीयर की बिक्री को नियंत्रित करेगी।
चर्चों से परामर्श
उन्होंने कहा कि इस मामले पर चर्चों से परामर्श लिया गया है और उन्होंने इस फैसले पर अपनी सहमति दी है। सरकार ने मार्च 2024 में विधानसभा में यह जानकारी दी थी कि वह राज्य के शराब प्रतिबंध कानून की समीक्षा करेगी, जो राज्य में शराब की बिक्री और खपत को प्रतिबंधित करता है।
कई क्षेत्रों से शराब प्रतिबंध को हटाने और शराब की दुकानों को खोलने की मांग उठ रही हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार ऐसी अपीलों पर विचार नहीं करेगी।
शराब प्रतिबंध का इतिहास
बता दें कि 2019 में मिजोरम में शराब पर प्रतिबंध फिर से लागू किया गया था। इससे पहले भी राज्य में शराब प्रतिबंध थे। 1984 में मिजोरम निषेध अधिनियम, 1973 के तहत शराब की दुकानों को खोलने की अनुमति दी गई थी, लेकिन 1987 में उन्हें बंद कर दिया गया था।
1995 में मिजोरम पूर्ण शराब प्रतिबंध अधिनियम लागू किया गया, जो 20 फरवरी 1997 को पूरी तरह से शराब पर प्रतिबंध लगा दिया।
जनवरी 2015 में एक नया कानून के तहत राज्य में शराब की दुकानों को खोलने की इजाजत दी। एमएनएफ सरकार ने अपने चुनावी वादे के मुताबिक सत्ता में आने के बाद इस नीति को बदलते हुए फिर से शराब प्रतिबंध लागू करने की दिशा में कदम बढ़ाया।