वक्फ विधेयक पर ‘फाइनल मुकाबला’, राज्यसभा में सरकार की अग्निपरीक्षा

वक्फ संपत्तियों से जुड़े नियमों में बड़े बदलाव लाने वाला वक्फ संशोधन विधेयक 2025 अब राज्यसभा की दहलीज पर है। लोकसभा में विधेयक को मंजूरी मिल चुकी है, और अब इसे राज्यसभा से पारित कराने की चुनौती सरकार के सामने है।

Central Desk
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Waqf Bill in Rajya Sabha: वक्फ संपत्तियों से संबंधित नियमों में बड़ा फेरबदल लाने वाला वक्फ संशोधन विधेयक 2025 अब राज्यसभा में पेश किया जा चुका है। लोकसभा से पारित हो चुके इस विधेयक को अब ऊपरी सदन से मंजूरी दिलाना सरकार के लिए अहम चुनौती बन गया है। केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने गुरुवार को विधेयक पेश करते हुए इसे “उम्मीद” यानी यूनिफाइड वक्फ मैनेजमेंट, इम्पावरमेंट, एफिशिएंसी एंड डेवलपमेंट की दिशा में उठाया गया मजबूत कदम बताया। उन्होंने कहा कि यह विधेयक व्यापक संवाद और संशोधनों के बाद तैयार किया गया है, जिसमें पारदर्शिता और जवाबदेही को लेकर कड़े नियम जोड़े गए हैं।

वक्फ संपत्ति पर दावा अब बिना दस्तावेज संभव नहीं

संशोधित विधेयक में वक्फ संपत्तियों पर अधिकार को लेकर कई महत्वपूर्ण बदलाव किए गए हैं:

– अब वक्फ बोर्ड किसी संपत्ति पर दावा तभी कर पाएगा जब वह वैध दस्तावेज प्रस्तुत करे।

– सभी वक्फ संपत्तियों का पंजीकरण अब अनिवार्य कर दिया गया है।

– जनजातीय क्षेत्रों में संपत्तियों को वक्फ घोषित करने पर पाबंदी लगाई गई है।

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– किसी संपत्ति को लेकर विवाद की स्थिति में ट्रिब्यूनल में अपील की जा सकेगी।

लाखों वक्फ संपत्तियां, करोड़ों की संभावित आय

रिजिजू ने बताया कि देशभर में इस समय करीब 8.72 लाख वक्फ संपत्तियां दर्ज हैं। उन्होंने कहा कि 2006 में आई सच्चर समिति की रिपोर्ट के अनुसार 4.9 लाख संपत्तियों से 12,000 करोड़ रुपये की संभावित आय का अनुमान लगाया गया था, और मौजूदा संख्या को देखते हुए यह आंकड़ा कई गुना बढ़ चुका होगा।

ट्रिब्यूनल से कोर्ट तक अपील का रास्ता अब खुला

विपक्ष पर निशाना साधते हुए मंत्री ने कहा कि पूर्ववर्ती सरकारों ने ऐसी व्यवस्थाएं बनाई थीं, जिनमें ट्रिब्यूनल के फैसले के बाद सीधे अदालत में जाने की अनुमति नहीं थी, बल्कि केवल पुनर्विचार की याचिका लगाई जा सकती थी। अब इस नए विधेयक में अपील का अधिकार फिर से बहाल कर दिया गया है, जिससे वक्फ संपत्तियों के विवादों में पारदर्शिता और न्याय की गुंजाइश बढ़ेगी।

राज्यसभा में बहुमत की चुनौती

यह विधेयक बुधवार देर रात लोकसभा से पारित हुआ, जहां 288 सांसदों ने इसके पक्ष में और 232 ने इसके विरोध में मतदान किया। हालांकि कुछ सदस्यों ने संशोधन पर अधिक बहस की मांग की थी, लेकिन बिजनेस एडवाइजरी कमेटी के निर्णय के अनुसार इसे निर्धारित समय में सदन में लाया गया।

राज्यसभा में फिलहाल 236 सदस्य हैं और किसी विधेयक को पारित कराने के लिए सरकार को कम से कम 119 सांसदों का समर्थन चाहिए। चूंकि भाजपा के पास 98 सांसद हैं, ऐसे में उन्हें अपने गठबंधन दलों का समर्थन जुटाना होगा। अब नजर इस पर रहेगी कि राज्यसभा में यह विधेयक कितनी सहजता से मंजूरी पा लेता है।

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