Para Teacher News: झारखंड में पारा शिक्षकों के शैक्षणिक और प्रशैक्षणिक प्रमाणपत्रों की मान्यता को लेकर बड़ा विवाद सामने आया है। उत्तर प्रदेश के कई संस्थानों की डिग्रियों को अमान्य घोषित किए जाने के बावजूद, राज्य में करीब 800 पारा शिक्षक इन प्रमाणपत्रों के आधार पर कार्यरत हैं।
स्कूली शिक्षा व साक्षरता विभाग ने इन शिक्षकों को सेवा से हटाने और उनके खिलाफ कार्रवाई करने का निर्देश जारी किया था, लेकिन अब तक किसी भी जिले से इस संबंध में कोई रिपोर्ट नहीं मिली है।
शिक्षा विभाग ने तय की 12 अप्रैल की समय सीमा
विभाग की ओर से अब सख्त रुख अपनाते हुए 12 अप्रैल, 2025 तक की समय सीमा निर्धारित की गई है। सभी जिलों से इस अवधि तक कार्रवाई की विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा गया है।
झारखंड शिक्षा परियोजना परिषद के राज्य परियोजना निदेशक एचडी तिग्गा ने जिला शिक्षा पदाधिकारियों और जिला शिक्षा अधीक्षकों को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि अवैध प्रमाणपत्रों के आधार पर कार्यरत पारा शिक्षकों पर तत्काल कार्रवाई की जाए।
एचडी तिग्गा ने अपने निर्देश में उन संस्थानों का उल्लेख किया है, जिनके प्रमाणपत्रों को वैध नहीं माना गया है।
इनमें प्रयाग महिला विद्यापीठ इलाहाबाद, भारतीय शिक्षा परिषद उत्तर प्रदेश, राजकीय मुक्त विद्यालय शिक्षा संस्थान उत्तर प्रदेश, हिंदी साहित्य सम्मेलन इलाहाबाद और हिंदी साहित्य सम्मेलन प्रयाग शामिल हैं। इन संस्थानों से प्राप्त डिग्रियों के आधार पर नियुक्त पारा शिक्षकों को चिह्नित कर उनके खिलाफ कार्रवाई करने का आदेश दिया गया था।
शिक्षा विभाग ने जताई नाराजगी
निर्देशों के बावजूद जिलों की ओर से कोई जवाब या कार्रवाई रिपोर्ट न भेजे जाने पर शिक्षा विभाग ने नाराजगी जताई है।
राज्य परियोजना निदेशक ने इसे खेदजनक बताते हुए कहा कि यह स्थिति शिक्षा व्यवस्था की गुणवत्ता और पारदर्शिता पर सवाल उठाती है। विभाग ने अब साफ कर दिया है कि निर्धारित समय सीमा के भीतर कार्रवाई न होने पर आगे की कड़ी कार्रवाई की जा सकती है।
इस मामले में शिक्षा विभाग का अगला कदम जिलों से आने वाली रिपोर्ट पर निर्भर करेगा। यदि 12 अप्रैल तक कार्रवाई की प्रगति नहीं दिखी, तो विभाग उच्च स्तर पर हस्तक्षेप कर सकता है।
पारा शिक्षकों के प्रमाणपत्रों की वैधता का यह मुद्दा राज्य की शिक्षा व्यवस्था में सुधार और निष्पक्षता के लिए एक अहम चुनौती बना हुआ है।