A building collapsed in Mustafabad:नई दिल्ली के नॉर्थ-ईस्ट जिले के दयालपुर (मुस्तफाबाद) में शुक्रवार देर रात एक चार मंजिला आवासीय इमारत अचानक ढह गई, जिससे इलाके में हड़कंप मच गया। तेज धमाके और चीख-पुकार के बीच शुरू हुए बचाव कार्य में 22 लोगों को मलबे से निकाला गया, लेकिन 11 लोगों की मौत हो गई।
मृतकों में एक ही परिवार के 8 लोग और 3 किराएदार शामिल हैं। घायल 11 लोगों का जीटीबी अस्पताल में इलाज चल रहा है।
हादसे में हाजी तहसीन के परिवार को भारी नुकसान हुआ। उनके परिवार के 13 में से केवल 5 लोग बचे हैं, जिनमें तहसीन की बड़ी बहू साहिबा, उनके तीन बच्चे और बेटा मोहम्मद चांद शामिल हैं।
साहिबा ने बताया कि वह अपने बच्चों के साथ एक रिश्तेदार की शादी में बिजनौर गई थीं, जिसके कारण उनकी जान बच गई। हादसे में तहसीन, उनकी पत्नी जीनत (जो अस्पताल में जिंदगी के लिए जूझ रही हैं), बेटा नजीम, बहू शाहिना, तीन पोते-पोतियां (अनस, अफान, आफरीन) और रिश्तेदार इशाक की मौत हो गई। साहिबा ने कहा, “परिवार को अब सब कुछ शुरू से शुरू करना होगा। अब कमाने वाला सिर्फ चांद बचा है।”
पड़ोसी मोहम्मद अफजल ने बताया कि तहसीन और उनका एक बेटा कबाड़ का कारोबार करते थे। इमारत शुरू में दो मंजिला थी, लेकिन 7-8 साल पहले दो और मंजिलें बनाई गई थीं। चांद ने हादसे के दौरान परिवार को बचाने की कोशिश की, लेकिन वह केवल खुद को बचा सका। उसकी पत्नी चांदनी की मलबे में दम घुटने से मौत हो गई।
चांद के साले वसीम ने बताया कि रात 11 बजे चांदनी से उनकी आखिरी बात हुई थी, जब सब कुछ सामान्य लग रहा था। चांद ने 2020 के दिल्ली दंगों में अपने बड़े भाई आस मोहम्मद को भी खोया था।
किराएदार शाहिद अहमद के दो बेटों, दानिश और नावेद, की भी हादसे में मौत हो गई। शाहिद और उनकी पत्नी रिहाना अस्पताल में गंभीर हालत में हैं, जबकि उनकी बेटी नेहा को छुट्टी दे दी गई है। रिहाना के भाई शहजाद अहमद ने बताया कि दानिश परिवार का एकमात्र कमाने वाला था और कबाड़ के कारोबार से घर चलाता था।
वह अपनी और बहन नेहा की शादी के लिए पैसे बचा रहा था। रिहाना को अभी तक बेटों की मौत की खबर नहीं दी गई है।
स्थानीय लोगों और परिजनों के अनुसार, इमारत के ग्राउंड फ्लोर पर मीट की दुकान के लिए निर्माण कार्य चल रहा था। तहसीन ने दो दुकानों के बीच का पार्टीशन हटवाया था, जिससे इमारत की नींव कमजोर हो गई।
पड़ोसी सोहराब ने बताया कि रात 11 बजे इमारत में हल्का झटका महसूस हुआ, जिसे लोगों ने भूकंप समझकर नजरअंदाज कर दिया। कुछ घंटों बाद पूरी इमारत जमींदोज हो गई। कुछ लोगों का कहना है कि नाली का पानी बुनियाद में रिसने से भी इमारत कमजोर हुई।
60 गज की एल-आकार की इस इमारत में ग्राउंड फ्लोर पर चार दुकानें थीं, जिनमें से एक में प्रॉपर्टी ऑफिस और दूसरी में मिठाई की दुकान थी। बाकी दो दुकानों को मीट की दुकान के लिए तैयार किया जा रहा था। पड़ोसी सलीम ने बताया कि इमारत में कॉलम और पिलर पर्याप्त मजबूत नहीं थे, जिसके कारण यह हादसा हुआ।
हादसे की सूचना मिलते ही स्थानीय लोग मलबा हटाने में जुट गए। पड़ोसी मुकर्रम ने बताया कि चांद की चीखें सुनकर लोग उसे और उसके बच्चों को बचाने दौड़े, लेकिन चांदनी को नहीं बचा सके। बचाव दल, पुलिस और एनडीआरएफ की टीमें सुबह पहुंचीं और राहत कार्य शुरू किया।
दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने हादसे की जांच के आदेश दिए हैं। दिल्ली के मंत्री कपिल मिश्रा ने कहा, “एमसीडी अधिकारियों ने अवैध निर्माण को मंजूरी दी, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी।” पिछले दो वर्षों में दिल्ली में इमारत ढहने की कई घटनाएं हुई हैं, जिनमें बुराड़ी, वेलकम, मॉडल टाउन, दल्लूपुरा और करोल बाग शामिल हैं। यह हादसा अवैध निर्माण और सुरक्षा मानकों की अनदेखी पर गंभीर सवाल उठाता है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शोक व्यक्त करते हुए मृतकों के परिजनों को 2 लाख रुपये और घायलों को 50 हजार रुपये की अनुग्रह राशि की घोषणा की है।