School charges Rs 12,000 extra fee, parents upset. : झारखंड की राजधानी रांची समेत राज्य के विभिन्न हिस्सों में निजी स्कूलों द्वारा मनमाने ढंग से शुल्क वृद्धि और अतिरिक्त वसूली ने अभिभावकों को परेशान कर रखा है।
खास तौर पर रांची के हिनू इलाके में स्थित स्प्रिंगडेल्स स्कूल पर रिएडमिशन फीस को “ARE” (Annual Re-admission Expense) का नाम देकर 12,000 रुपये वसूलने का आरोप लगा है।
इसके अलावा, स्कूल ने 2025 के लिए फीस में 12-15% की वृद्धि की है, जो सरकार के 5% की सीमा से कहीं अधिक है।
अभिभावकों का कहना है कि कॉपी, डायरी, ड्रेस, और मोजे जैसे जरूरी सामानों के लिए भी स्कूल अतिरिक्त शुल्क वसूल रहा है, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति पर बोझ बढ़ रहा है।
ARE के नाम पर वसूली और बच्चों पर दबाव
अभिभावकों का आरोप है कि स्प्रिंगडेल्स स्कूल रिएडमिशन फीस को ARE का नाम देकर हर साल 12,000 रुपये वसूल रहा है। नियमों के अनुसार, स्कूल रिएडमिशन के नाम पर कोई शुल्क नहीं ले सकते, लेकिन स्कूल प्रबंधन इस नियम की धज्जियां उड़ा रहा है।
यदि अभिभावक यह शुल्क जमा नहीं करते, तो स्कूल बच्चों को कॉपी, डायरी, और आईडी कार्ड जैसी आवश्यक सामग्री प्रदान नहीं करता। इससे बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है और अभिभावकों पर मानसिक दबाव बनाया जा रहा है।
एक अभिभावक ने कहा, “हम बच्चों का भविष्य बनाने के लिए निजी स्कूलों में भेजते हैं, लेकिन स्कूल की मनमानी हमें मजबूर कर रही है।”
12-15% फीस वृद्धि, सरकार के नियमों की अनदेखी
स्प्रिंगडेल्स स्कूल ने 2024 में 300 रुपये की फीस वृद्धि की थी और 2025 में फिर से 300 रुपये बढ़ाए हैं। अभिभावकों के अनुसार, स्कूल ने इस साल फीस में 12-15% की वृद्धि की है, जबकि झारखंड सरकार ने निजी स्कूलों को अधिकतम 5% वृद्धि की अनुमति दी है।
यह वृद्धि मध्यम और निम्न-आय वाले परिवारों के लिए भारी पड़ रही है। अभिभावक खुलकर विरोध करने से डरते हैं, क्योंकि उन्हें लगता है कि इससे उनके बच्चों के साथ स्कूल में भेदभाव हो सकता है।
ड्रेस, कॉपी, और मोजे के नाम पर अतिरिक्त वसूली
स्कूल नियमों के अनुसार, निजी स्कूल किताबें, कॉपी, और यूनिफॉर्म बेच नहीं सकते, लेकिन स्प्रिंगडेल्स स्कूल इस नियम का उल्लंघन कर रहा है। स्कूल समर और विंटर ड्रेस के लिए 1,200 से 1,500 रुपये वसूल रहा है।
इसके अलावा, स्कूल से मोजे (सॉक्स) खरीदने के लिए अभिभावकों को 130 रुपये देने पड़ते हैं। अभिभावकों का कहना है कि ये सभी सामान स्कूल की ओर से अनिवार्य किए गए हैं, जिससे उनकी आर्थिक परेशानी बढ़ रही है।
स्कूलों की मनमानी पर सख्त कार्रवाई की मांग
9 अप्रैल 2025 को रांची में एक निजी ICSE स्कूल के बाहर अभिभावकों ने फीस वृद्धि के खिलाफ प्रदर्शन किया था, जहां उन्होंने स्कूल प्रबंधन पर वार्षिक शुल्क को मासिक शुल्क में शामिल करने का आरोप लगाया था।
इस घटना के बाद जिला प्रशासन ने स्कूल, जिला, और डिवीजन स्तर पर फीस कमेटी गठन का निर्देश दिया था, लेकिन इसका प्रभाव अभी तक स्प्रिंगडेल्स जैसे स्कूलों पर नहीं दिख रहा। अभिभावकों ने मांग की है कि सरकार निजी स्कूलों की मनमानी पर सख्त कार्रवाई करे और शुल्क नियमन के लिए प्रभावी कानून बनाए।
बिना किसी डर के नियमों का उल्लंघन कर रहे निजी स्कूल
रांची में निजी स्कूलों की मनमानी कोई नई बात नहीं है। 25 मार्च 2025 को झारखंड विधानसभा में विधायक प्रदीप प्रसाद ने निजी स्कूलों की फीस वृद्धि और रिएडमिशन शुल्क के मुद्दे को उठाया था।
स्पीकर रवींद्र नाथ महतो ने सरकार से इस संबंध में कानून बनाने और एकसमान फीस संरचना लागू करने की मांग की थी। इसके बावजूद, निजी स्कूल बिना किसी डर के नियमों का उल्लंघन कर रहे हैं।
अन्य शहरों जैसे दिल्ली और बेंगलुरु में भी निजी स्कूलों की फीस वृद्धि के खिलाफ अभिभावकों ने विरोध किया है, जहां 10-40% तक की वृद्धि की शिकायतें सामने आई हैं।
झारखंड में निजी स्कूलों को सरकार की मंजूरी के बिना फीस बढ़ाने की अनुमति नहीं
सुप्रीम कोर्ट ने 2018 में कहा था कि स्कूल शिक्षा को “नो प्रॉफिट, नो लॉस” के आधार पर चलाना चाहिए, और वे 15% से अधिक रिजर्व फंड नहीं रख सकते। झारखंड में भी निजी स्कूलों को सरकार की मंजूरी के बिना फीस बढ़ाने की अनुमति नहीं है।
भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 420 (धोखाधड़ी) और उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के तहत अभिभावक स्कूलों की मनमानी के खिलाफ शिकायत दर्ज कर सकते हैं। हालांकि, प्रभावी नियमन और त्वरित कार्रवाई की कमी के कारण स्कूलों का दुस्साहस बढ़ रहा है।