Jharkhand News: गुमला जिले में रविवार की शाम आदिवासी समुदाय ने रांची के सिरमटोली स्थित केंद्रीय सरना स्थल के मुख्य गेट के पास फ्लाईओवर रैंप निर्माण के विरोध में उग्र प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों ने टावर चौक पर जाम लगाकर झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का पुतला फूंका और सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। आदिवासी नेताओं ने आरोप लगाया कि सरकार सरना स्थल और आदिवासी संस्कृति को मिटाने की साजिश कर रही है।
यह आंदोलन पिछले तीन महीनों से चल रहा है, और शनिवार, 26 अप्रैल 2025 की रात 11 बजे पुलिस बल की मौजूदगी में रैंप निर्माण कार्य दोबारा शुरू होने से समुदाय का गुस्सा भड़क उठा।
आदिवासी संगठनों ने “सिरमटोली बचाओ मोर्चा” के बैनर तले पालकोट रोड के पाठ स्थल से जुलूस शुरू किया, जो टावर चौक पहुंचा। वहां प्रदर्शनकारियों ने सड़क जाम कर दी और “हेमंत सोरेन हाय-हाय”, “सरना स्थल पर हमला बंद करो”, और “आदिवासी संस्कृति की रक्षा करो” जैसे नारे लगाए। इसके बाद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का पुतला जलाया गया।
प्रदर्शन में बड़ी संख्या में युवक-युवतियां और आदिवासी नेता शामिल थे, जिनमें सुनील उरांव, चन्द्रदेव उरांव, राजू उरांव, विकास उरांव, नितेश उरांव, पुष्पा उरांव, विश्वनाथ उरांव, प्रमिला उरांव, रवि उरांव, और बिनोद मिंज प्रमुख थे।
रैंप से सरना स्थल तक पहुंच बाधित
सिरमटोली-मेकन फ्लाईओवर का रैंप केंद्रीय सरना स्थल के मुख्य द्वार के पास बन रहा है, जिसे आदिवासी समुदाय अपनी धार्मिक और सांस्कृतिक पहचान का प्रतीक मानता है। संगठनों का दावा है कि रैंप से सरना स्थल तक पहुंच बाधित होगी, और सरहुल जैसे पर्वों की शोभायात्रा प्रभावित होगी।
मार्च 2025 में आदिवासियों ने रांची बंद, मानव श्रृंखला, मशाल जुलूस, और विधायकों की शवयात्रा जैसे विरोध प्रदर्शन किए। 29 मार्च को जिला प्रशासन ने सरहुल के लिए रैंप का एक हिस्सा हटाया था, लेकिन 26 अप्रैल की रात भारी पुलिस बल के साथ निर्माण कार्य फिर शुरू होने से तनाव बढ़ गया।
आदिवासियों का आरोप है कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, जो स्वयं आदिवासी नेता हैं, उनकी भावनाओं को नजरअंदाज कर रहे हैं।
केंद्रीय सरना समिति के अध्यक्ष बबलू मुंडा ने कहा कि राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग ने 4 अप्रैल 2025 को उनकी शिकायत पर जांच का आदेश दिया था, लेकिन प्रशासन ने बिना सहमति के निर्माण शुरू कर दिया।