बेंगलुरु: देश की सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र की शीर्ष कंपनी विप्रो के दो कर्मचारियों की चूक से अमेरिकी के सिटीबैंक को हुए भारी क्षति उठानी पड़ी है।
यह मामला कॉस्मेटिक कंपनी रेवलॉन के एक टर्म लोन से जुड़ा है। रेवलॉन से जुड़े लोन मामले में सिटी बैंक एडमिनिस्ट्रेटिव एजेंट था।
बैंक को रेवलॉन को उधार देने वालों को 78 लाख डॉलर के ब्याज का पैसा देना था। लेकिन बैंक ने गलती से करीब 90 करोड़ डॉलर (करीब 66 अरब रुपये) भेज दिए।
इसमें मूलधन भी शामिल था। यह बैंकिंग इतिहास की सबसे बड़ी गलतियों में से एक थी।
सिटी बैंक ने रेवलॉन के लोन एडमिनिस्ट्रेटिव एजेंट के तौर पर काम करते हुए 10 वित्तीय कंपनियों को 90 करोड़ डॉलर भेजे थे।
इन कंपनियों के कंसोर्शियम ने रेवलॉन को टर्म लोन दिया था। असल में सिटी बैंक को इन्हें 78 लाख डॉलर के ब्याज का पैसा देना था।
लेकिन बैंक ने गलती से 90 करोड़ डॉलर मूलधन ही इन कंपनियों को भेज दिया। लेंडर्स ने पैसा वापस करने से इनकार कर दिया।
मामला कोर्ट में पहुंचा। कोर्ट ने कहा कि जिन लेंडर्स को सिटीबैंक से पैसा मिला है वे इसे रखने के हकदार हैं।
सिटीबैंक कोर्ट के इस फैसले को चुनौती देने की योजना बना रहा है। यह ट्रांजैक्शन सिटी बैंक की सिक्स-आई प्रॉसीजर से गुजरा था।
इसके तहत किसी भी लेनदेन को करने से पहले तीन लोग उसे रिव्यू और अप्रूव करते हैं। इस मामले में पहली दो प्रोसेस विप्रो के कर्मचारियों के हवाले थी।
यह उस काम का हिस्सा था जो विप्रो को आउटसोर्स किया गया था। पहले कर्मचारी ने पेमेंट की जानकारी मैनुअली बैंक को फ्लेक्सक्यूब लोन प्रोसेसिंग प्रोग्राम में डाली थी।
दूसरे कर्मचारी ने इस जानकारी को चेक किया था।
फाइनल अप्रूवल सिटीबैंक की टीम ने किया था और इसी टीम को ट्रांजैक्शन के लिए जवाबदेह माना जाता है।