रांची/हजारीबाग: रांची के गुरुनानक अस्पताल से कोरोना पाॅजिटिव शव को कंबल में लपेटकर परिजनों को सौंपने और हजारीबाग भेजे जाने के मामले में सिविल सर्जन ने गंभीरता दिखाई है। हजारीबाग सिविल सर्जन डॉ संजय जायसवाल ने कहा कि मैं पूरी रिपोर्ट मंगवा रहा हूं।
मरीज कहां-कहां पर भर्ती हुआ, कहां से रेफर हुआ इसकी जानकारी लूंगा। पूरी जानकारी लेने के बाद जरूरत पड़ी तो परिजनों का भी सैंपल लिया जाएगा। पॉजिटिव मरीज की मौत के बाद बॉडी को कंबल में लपेटकर परिजनों को सौंपा जाता है। अगर ऐसा हुआ है तो यह गाइडलाइन Guideline का उल्लंघन है।
संपर्क में आए सभी लोगों की कोरोना जांच होगी। दरअसल, हजारीबाग में शनिवार को कोरोना मरीज की नहीं बल्कि पूरे सिस्टम की मौत हो गई।
वहीं, कोरोना के मामले कम होने और वैक्सीन आने के बाद स्वास्थ्य विभाग और प्रशासन किस कदर लापरवाह हो गया है, इसकी पूरी पोल खुल गई है। जहां 35 साल के निरंजन को अपनी जान गंवानी पड़ी।
अगर अस्पतालों ने शुरू में ही उसकी कोरोना जांच कराई होती तो आज वह जिंदा रहता। वह बीमार हालत में हजारीबाग से लेकर रांची तक के अस्पतालों में सिर्फ रेफर होता रहा, लेकिन उसका कोरोना टेस्ट कराने की जहमत किसी ने नहीं उठाई।
लापरवाही की इंतहा…
इधर, रांची के गुरुनानक अस्पताल में मौत के 12 घंटे पहले उसकी कोरोना जांच की गई, जिसमें वह कोरोना पॉजिटिव पाया गया।
इसके बावजूद जब शनिवार की सुबह उसकी मौत हुई तो उसकी बॉडी को एक कंबल में लपेट कर परिजनों को सौंप दिया। लापरवाही का आलम यह था कि एंबुलेंस में खुली बॉडी के साथ परिजन बिना पीपीई किट के साथ बैठे और शव को हजारीबाग ले आए।
मौत के बाद परिजनों को भी खतरा
एक ओर जहां अस्पतालों ने लापरवाही करके निरंजन की जान ले ली, वहीं, मरने के बाद उसके परिजनों की जिंदगी का भी खतरा पैदा कर दिया। मरने के बाद भी COVID-19 गाइडलाइन Guideline का पालन नहीं किया और पॉजिटिव बॉडी को कंबल में लपेटकर परिजनों को सौंपा दिया।
इतना ही नहीं, उसके करीब जाने वाले परिजन को भी पीपीई किट पहनकर रहना है। लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ। मुर्दा कल्याण समिति के मो खालिद ने बताया कि गुरुनानक हॉस्पिटल से सिर्फ कंबल में लपेट कर निरंजन की बॉडी परिजनों को सौंप दी गई।
जिस एंबुलेंस से बॉडी लेकर गुरुनानक से चले, उसी एंबुलेंस में परिजन बगैर पीपीई किट के बैठकर हजारीबाग तक आए।
जब हजारीबाग में अंतिम संस्कार की बारी आई तो मुर्दा कल्याण समिति ने COVID-19 के गाइडलाइन Guideline का पालन करते हुए कोरोना मुक्तिधाम में शव का अंतिम संस्कार किया।
बिना टेस्ट रेफर किया जाता रहा निरंजन, अंत में मौत
जानकारी के अनुसार, खिरगांव भुइयां टोली निवासी स्वण् काली राम का पुत्र 35 वर्षीय निरंजन राम बिजली विभाग में मजदूरी करता था। वह शुगर का मरीज था।
उसके दो बच्चे भी हैं। उसी की कमाई से पूरे परिवार का खर्च चलता था। 15 दिन पहले अचानक वह बीमार पड़ गया। उसे तत्काल हजारीबाग के एक निजी हॉस्पिटल में भर्ती किया गया, जहां से उसे रिम्स रेफर किया गया।
रिम्स में भी COVID-19 टेस्ट नहीं किया गया। यहां से कुछ दिनों बाद परिजन उसे घर ले आए। घर में फिर उसकी तबीयत खराब और जब हालत गंभीर होने लगी तो उसे हजारीबाग एचएमसीएच हॉस्पिटल में भर्ती किया गया।
जहां कोविड टेस्ट की व्यवस्था होने के बावजूद उसकी जांच नहीं की गई और उसे रांची रेफर कर दिया गया। परिजन उसे लेकर 2 दिन पहले गुरुनानक हॉस्पिटल रांची गए।
यहां उसका इलाज शुरू कर दिया गया लेकिन COVID-19 टेस्ट नहीं किया गया। जब स्थिति बिल्कुल बिगड़ गई तो शुक्रवार की शाम उसकी COVID-19 जांच हुई, जिसके कुछ घंटों बाद ही उसकी रिपोर्ट पॉजिटिव आ गई। कोरोना पॉजिटिव निरंजन ने टेस्ट के 12 घंटे बाद शनिवार को सुबह 7ः30 बजे दम तोड़ दिया।