नई दिल्ली: सरकार चाहे तो बड़े आराम से पेट्रोल और डीजल पर एक्साइज ड्यूटी में 8.5 रुपये प्रति लीटर तक की कटौती कर सकती है।
इससे उसके राजस्व पर भी खास असर भी नहीं पड़ेगा। ICICI सिक्युरिटीज ने अपनी एक रिपोर्ट में यह दावा किया है।
गौरतलब है कि देश में पेट्रोल-डीजल की कीमतें रिकॉर्ड ऊंचाई पर चल रही हैं। सबसे प्रमुख बात यह है कि इस कीमत में बड़ा हिस्सा टैक्स का ही होता है।
पेट्रोल में करीब 60 फीसदी और डीजल में करीब 54 फीसदी हिस्सा केंद्र और राज्यों के टैक्सेज का ही है। उदाहरण के लिए दिल्ली वासी करीब 91 रुपये प्रति लीटर का जो पेट्रोल खरीद रहे हैं, उसमें करीब 54 रुपये टैक्स का ही है।
केंद्र सरकार इस पर एक्साइज ड्यूटी यानी उत्पाद शुल्क लगाती है, जबकि राज्य सरकारें वैट या बिक्री कर लगाती हैं।
इसलिए अब हर तरफ से यह आवाज उठने लगी है कि सरकार पेट्रोल-डीजल पर टैक्स घटाए। हाल में रॉयटर्स की एक रिपोर्ट में वित्त मंत्रालय के सूत्रों के हवाले से यह दावा किया गया था कि सरकार इस पर विचार भी कर रही है और 15 मार्च के बाद कोई निर्णय लिया जा सकता है।
दिल्ली में 1 मार्च की कीमत के हिसाब से देखें तो 91.17 रुपये लीटर के पेट्रोल में 32.90 रुपये की एक्साइज ड्यूटी लगती है। इसके पहले केंद्र रकार ने नवंबर 2014 से लेकर जनवरी 2016 के बीच अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के गिरते दाम का लाभ उठाते हुए नौ बार पेट्रोल, डीजल पर एक्साइज ड्यूटी बढ़ाई थी।
क्या कहा रिपोर्ट में
ICICI सिक्युरिटीज ने उम्मीद जताई है कि मांग में सुधार आने, निजीकरण को बढ़ावा दिये जाने और महंगाई को लेकर बढ़ती चिंता के बीच एक्साइज ड्यूटी में कटौती की उम्मीद है, लेकिन यह कटौती 8.5 रुपये प्रति लीटर से कम रह सकती है।
पिछले साल मार्च से लेकर मई 2020 के बीच पेट्रोल पर उत्पाद शुल्क में 13 रुपये और डीजल में 16 रुपये लीटर की वृद्धि की गई।
आईसीआईसीआई सिक्युरिटीज ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा है, ‘हमारा अनुमान है कि वित्त वर्ष 2021-22 में वाहन ईंधन पर यदि एक्साइज ड्यूटी में कोई कटौती नहीं की जाती है तो इसका संग्रह 4।35 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच जाएगा, जबकि बजट अनुमान 3।2 लाख करोड़ रुपये का है।
इस हिसाब से यदि एक अप्रैल 2021 को अथवा इससे पहले उत्पाद शुल्क में 8.5 रुपये प्रति लीटर की भी कटौती की जाती है तो अगले वित्त वर्ष के बजट अनुमान को हासिल कर लिया जाएगा।’