नई दिल्ली : ग्लोबल वार्मिंग के दुष्प्रभावों का असर तेजी से दिखने लगा हैं। अंटार्कटिका में एक बेहद बड़े आकार के हिमखंड के टूटने के समाचार से हड़कंप मचा है।
विशेषज्ञ एजेंसियों के मुताबिक इस हिमखंड का आकार 1270 वर्ग किलोमीटर का है। यानी इसका आकार मुंबई शहर का तकरीबन दो गुना है।
अगर वैश्विक शहरों से तुलना की जाए तो मुंबई का आकार 233 स्क्वायर मील है तो न्यूयॉर्क का 302 स्क्वायर मील है। ये हिमखंड ब्रिटिश रिसर्च स्टेशन के नजदीक टूटा है।
हालांकि कहा जा रहा है कि इससे रिसर्च स्टेशन को कोई नुकसान नहीं पहुंचा है। लेकिन इस घटना ने ग्लोबल वार्मिंग के खतरे को लेकर एक बार फिर आगाह किया है।
वैज्ञानिकों ने बताया है कि ये हिमखंड कैल्विंग की प्रक्रिया के कारण अलग हुआ है। इस टुकड़े में पहले भी दरारें देखी गई थीं। इसी वजह से इसके टूटने की आशंकाएं भी जताई गई थीं।
ग्लोबल वार्मिंग से इसके जुड़ाव को लेकर भी तथ्यों की पड़ताल की जा रही है। ग्लोबल वार्मिंग की वजह से ग्लेशियर पिघलने की घटनाओं पर वैश्विक स्तर पर चिंता जाहिर की जा चुकी है।
कुछ विशेषज्ञों के मुताबिक ये मामला ग्लोबल वार्मिंग से जुड़ा हुआ हो सकता है। इसके लिए समुद्र के बढ़ते तापमान को भी वजह माना जा रहा है।
अंटार्कटिका में रिसर्च के लिए दुनियाभर से हजारों शोधकर्ता हर साल पहुंचते हैं।
ये शोधकर्ता अंटार्कटिका के रहस्यों का पता लगाने के साथ जलवायु परिवर्तन पर भी निगाह रखते हैं। दुनिया के सबसे ठंडे क्षेत्र में शुमार किए जाने वाले इस इलाके में तापमान-90 डिग्री तक भी पहुंच जाता है।