कोडरमा : गत दिनों तीन बाल मजदूर व एक बंधुआ मजदूर को उपायुक्त रमेश घोलप के पहल से उन बच्चों को विमुक्त करा कर उनका पुनर्वास कराया गया था।
उपायुक्त को सूचना प्राप्त होने पर वे स्वयं जाकर बच्चों को विमुक्त कराये और बाल मजदूरी कराने वाले लोगों के खिलाफ कार्रवाई करते हुए प्राथमिकी दर्ज करायी गयी।
विमुक्त कराये गये बच्चों को उपायुक्त ने एक लाख नौ हजार की सहायता राशि और एरियर के साथ-साथ स्कूल यूनिफॉम एवं पाठ्य सामग्री दी गयी थी।
उपायुक्त ने बच्चों के अभिभावकों के साथ लगभग आधे घंटे तक बातचीत कर उनके बेहतर भविष्य बनाने के लिए उन्हें प्रोत्साहित किया था।
उपायुक्त के इस प्रयास की नोवेल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यर्थी ने सराहना की है। उन्होंने इस कदम की सराहना करते हुए अपने ट्विटर हैंडल से रिट्विट कर लिखा कि आपके इन कार्यों के लिए साधुवाद।
बच्चों के साथ होने वाले हर अन्याय और शोषण के खिलाफ आपके प्रयासों में मेरा और मेरे संगठन का पूरा सहयोग रहेगा। इस प्रयास को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के द्वारा भी रिट्विट किया गया है।
इसके अलावे झारखंड सरकार के परिवहन मंत्री चंपई सोरेन ने अपने ट्विटर हैंडल से रिट्विट करते हुए लिखा कि इस पहल के लिए उपायुक्त कोडरमा और जिला प्रशासन को धन्यवाद।
गाैरतलब है कि उपायुक्त बच्चों के बेहतर भविष्य के लिए हमेशा से संवेदनशील रहे हैं।
उन्होंने बताया कि लॉकडाउन के कारण जो बच्चे स्कूल नहीं जा पा रहे हैं या जो ड्रॉप आउट हैं, उन्हें पुनः शत प्रतिशत स्कूल खुलने पर नामांकन के लिए अभियान चलाया जायेगा।
40 से ज्यादा बच्चे, जो अनाथ, गरीब व बाल मजदूरी करते थे, उन्हें स्कूलों में दाखिला कराया है।