नई दिल्ली: कोरोना महामारी के कारण पिछले एक साल से सुप्रीम कोर्ट में वि़डियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से चल रही सुनवाई के बाद शीर्ष अदालत अब 15 मार्च से हाईब्रिड फिजिकल सुनवाई शुरू करने जा रही है।
5 मार्च को जारी एक परिपत्र (सकरुलर) के अनुसार, शीर्ष अदालत प्रायोगिक आधार पर हाइब्रिड मोड के माध्यम से मंगलवार, बुधवार और गुरुवार को सूचीबद्ध अंतिम सुनवाई या नियमित मामलों की शुरूआत करेगी।
सकरुलर में कहा गया है कि हाइब्रिड सुनवाई के लिए निर्देश प्रधान न्यायाधीश एस. ए. बोबडे द्वारा बार एसोसिएशनों के अनुरोधों और शीर्ष अदालत के न्यायाधीशों की समिति की सिफारिशों की जांच के बाद जारी किए गए हैं।
सकरुलर में बताया गया है कि प्रधान न्यायाधीश के निर्देश के तहत रेग्युलर फाइनल सुनवाई के लिए पायलट स्कीम शुरू की है।
योजना के अनुसार, एक मामले में पार्टियों की संख्या और कोर्ट रूम की सीमित क्षमता पर विचार करने के बाद, मंगलवार और बुधवार और गुरुवार को सूचीबद्ध अंतिम सुनवाई और नियमित मामलों को हाइब्रिड मोड में सुना जाएगा।
हालांकि सोमवार और शुक्रवार को सूचीबद्ध किए गए अन्य सभी मामलों को वीडियो-कॉन्फ्रेंसिंग मोड से सुना जाना जारी रहेगा।
परिपत्र में कहा गया है कि अंतिम सुनवाई और नियमित मामलों में, जहां पक्षकारों की ओर से पेश अधिवक्ताओं की संख्या कोर्ट रूम की औसत कार्य क्षमता, कोविड-19 मानदंड के अनुसार, 20 व्यक्ति प्रति कोर्ट रूम, से ज्यादा हो, उन्हें वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग मोड से सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया जाएगा।
हालांकि, बेंच हाइब्रिड मोड से ऐसे मामलों की सुनवाई का निर्देश दे सकती है और ऐसी स्थिति में पक्षों की उपस्थिति, भौतिक उपस्थिति हो या वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से हो, बेंच के निर्देशों के अनुसार उन्हें सुविधा देनी होगी।
सकरुलर में कहा गया है कि जब मामलों को हाइब्रिड सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया जाता है, तो एक पक्ष की ओर से पेश सभी वकील भौतिक उपस्थिति या वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से पेश हो सकते हैं।
मामले में पीठ द्वारा हाइब्रिड सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने के लिए निर्देशित किए जाने के मामले में, यदि कोई भी पक्ष शारीरिक सुनवाई का विरोध नहीं करता है, तो इस मामले को वीडियो/टेली-कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सुनवाई के लिए लिया जाएगा।
सकरुलर में हिदायत देते हुए कहा गया है, इस पर ध्यान देना है कि मास्क पहनना, हैंड सैनिटाइटर का बार-बार इस्तेमाल करना और कोर्ट रूम सहित सुप्रीम कोर्ट परिसर में प्रवेश करने वाले सभी लोगों के लिए शारीरिक दूरी जैसे मानदंडों को बनाए रखना अनिवार्य है।