नई दिल्ली: समुद्र में अपनी ताकत बढ़ाने के लिए भारतीय नौसेना ने अपने बेड़े में स्कोर्पिन क्लास सबमरीन आईएनएस करंज को शामिल किया है।
इस पनडुब्बी का निर्माण मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड में मेक इन इंडिया कार्यक्रम के तहत किया गया है।
इससे पहले नौसेना के बेड़े में आईएनएस कलवरी और आईएनएस खांदेरी नामक वर्ग की दो पनडुब्बियों को शामिल की गई थी।
करंज पनडुब्बी को बुधवार सुबह मुंबई स्थित नौसेना की पश्चिमी कमान के मुख्यालय में सैन्य परंपरा के तहत एक कार्यक्रम में शामिल किया गया।
पनडुब्बियों की कमी का सामना कर रही भारतीय नौसेना की समुद्री ताकत में बड़ा इजाफा होने की उम्मीद है।
यह ऐसे में समय में नौसेना को मिली है जब हिंद महासागर में चीनी नौसेना और उसका जंगी बेड़ा एक बड़ी चुनौती दे रहा है।
साइलेंट किलर कहे जाने वाली यह पनडुब्बी दुश्मन देशों की मुश्किलें बढ़ाने की क्षमता रखती है।
स्कोर्पिन क्लास पनडुब्बी एक डीजल सबमरीन है, जो 40-50 दिनों तक समंदर में तैनात रह सकती है।
इस पनडुब्बी में दुनिया का सबसे अच्छा सोनार सिस्टम लगाया गया है, जिससे इसकी आवाज़ कोई भी नहीं सुन सकता है।
बड़ी आसानी से यह पनुडुब्बी दुश्मन के घर में घुस कर उसे तबाह कर सकती है।
करीब 70 मीटर लंबी और 12 मीटर चौड़ी यह पनडुब्बी अपनी क्लास की दूसरी पनडुब्बियों की तरह ही मिसाइल और टॉरपीडो से लैस है और समंदर में माइन्स भी बिछाने में सक्षम है।
यह चंद सेकेंड में अपने टारगेट को ध्वस्त करने की क्षमता रखती है।
इससे सतह और पानी के अंदर से टॉरपीडों और टयूब लॉन्च एंटी शिप मिसाइलें दागी जा सकती हैं।
इसकी सबसे बड़ी खासियत यह है यह रडार की पकड़ में नहीं आती है और जमीन पर हमला कर सकती है।
इसमें ऑक्सीजन बनाने की भी क्षमता है, जिससे यह लंबे समय तक पानी में रह सकती है।
इसके हर अक्षर का एक मतलब है। मसलन के से किलर इन्सटिंक्ट, ए से आत्मनिर्भर भारत, आर से रेडी, ए से एग्रेसिव, एन से निम्बल और जे से जोश।
इसके साथ-साथ यह पनडुब्बी एंटी सबमरीन वॉरफेयर, एंटी सरफेस वॉरफेयर, माइन लेइंग जैसे कई मिशनों को अंजाम देने की क्षमता रखती है। इसके अलावा इसमें और भी ऐसी कई सुविधाएं हैं जो इसको आधुनिक बनाती हैं।