नई दिल्ली: देश में इस बार दो फेज में जनगणना-2021 की जाएगी। केंद्र सरकार ने अहम फैसला लेते हुए बताया कि हाउसलिस्टिंग और हाउसिंग सेंसस अप्रैल से सितंबर 2020 तक और जनसंख्या गणना 9 से 28 फरवरी 2021 तक।
गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने लोकसभा में ये जानकारी दी है।
राज्यसभा में एक सवाल के लिखित जवाब में नित्यानंद राय ने कहा कि नागरिकता अधिनियम, 1955 के तहत जनगणना के पहले चरण के साथ राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) को अपडेट करने का भी निर्णय लिया गया था।
पीआईबी के मुताबिक कोविड-19 महामारी के चलते पहले चरण की जनगणना, एनपीआर का अपडेशन और इससे जुड़े फील्ड के सभी कार्य स्थगित कर दिए गए थे।
राय ने बताया कि डेटा एकत्र करने के लिए मोबाइल एप्लिकेशन और विभिन्न जनगणना संबंधी गतिविधियों के प्रबंधन और उसकी मॉनीटरिंग के लिए एक पोर्टल तैयार किया गया है।
राय ने कहा कि जनगणना संचालन के लिए किसी भी अंतर्राष्ट्रीय एजेंसी से कोई तकनीकी मदद नहीं ली गई है।
उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र अंतर्राष्ट्रीय बाल आपातकालीन कोष, (यूनिसेफ), यूएन वूमऩ व संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष (यूएनएफपीए) द्वारा प्रचार सामग्री और ई-लर्निंग प्रशिक्षण मॉड्यूल के विकास में मदद के लिए अंतर्राष्ट्रीय एजेंसियों की भूमिका ली गई है जो कि सीमित है।
राय ने आगे कहा कि सामाजिक-आर्थिक और जाति जनगणना (एसईसीसी) 2011 का आयोजन ग्रामीण विकास मंत्रालय (एमओआरडी) और ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में क्रमशः आवास और शहरी गरीबी उन्मूलन मंत्रालय (एचयूपीए) द्वारा किया गया।
राय ने कहा कि जाति आधारित कच्चे आंकड़ों को डेटा के वर्गीकरण और कैटेगराइजेशन के लिए सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय (एमओएसजेई) को दिया गया है।
जैसा कि मंत्रालय द्वारा बताया गया है, इस स्तर पर जाति के आंकड़े जारी करने का कोई प्रस्ताव नहीं है।
आजादी के बाद, भारत संघ ने, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के अलावा अन्य जातिगत जनसंख्या की गणना न करने की नीति के रूप में फैसला लिया है।