नई दिल्ली: दो दशक लंबे अंतराल के बाद टूरिस्ट बसों के देशभर में निर्बाध फर्राटा भरने का रास्ता साफ हो गया है।
केंद्र सरकार एक अप्रैल से ट्रकों की तरह टूरिस्ट-लग्जरी बसों के लिए भी नेशनल परमिट (एनपी) व्यवस्था लागू करने जा रही है।
इससे तीर्थ यात्रियों और पर्यटकों को ले जाने वाली बसों को राज्यों की सीमा पर टैक्स अदायगी के लिए खड़ा नहीं होना पड़ेगा।
एनपी व्यवस्था से टूरिस्ट बसों का किराया सस्ता होगा और सुविधाएं भी बढ़ेंगी। सूत्रों के मुताबिक सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय एक-दो दिनों में इस बाबत अधिसूचना जारी कर सकता है।
हालांकि, हितधारकों से सुझाव-आपत्ति के लिए ड्राफ्ट नोटिफिकेशन पहले जारी किया जा चुका है।
इस विषय से जुडे़ एक अधिकारी ने बताया कि नई व्यवस्था में एसी और गैर-एसी टूरिस्ट बसों को आठ साल के बजाय 12 वर्ष के लिए नेशनल परमिट दिया जाएगा।
इस परमिट को ऑल इंडिया टूरिस्ट व्हीकल रूल्स 2021 के नाम से जाना जाएगा। एनपी व्यवस्था से परिवहन व्यवसाय से जुड़े टूर ऑपरेटरों के लिए बस संचालन किफायती होगा।
तीर्थ यात्रियों को इसका फायदा टूरिस्ट बसों में सस्ते किराये और सुविधाओं के रूप में मिल सकेगा। देश के एक कोने से दूसरे कोने में जाने पर तमाम राज्यों में टैक्स देने के लिए बसों का सीमा पर ठहराव बंद होगा।
इससे समय बचेगा। सेंट्रल मोटर व्हीकल रूल्स कमेटी के चेयरमैन गुरमीत सिंह ने कहा कि सरकार की एक राष्ट्र-एक परमिट नीति (नेशनल परमिट) पर्यटन उद्योग को बढ़ावा देगी।
वहीं, टूर ऑपरेटरों को क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय (आरटीओ) के चक्कर लगाने से छुटकारा मिलेगा। नई नेशनल परमिट व्यवस्था से आरटीओ में व्याप्त भ्रष्टाचार पर अंकुश लगेगा।
मौजूदा समय में टूरिस्ट बसों के परमिट के लिए आरटीओ के चक्कर लगाने पड़ते थे। लेकिन नई व्यवस्था में सड़क परिवहन मंत्रालय के परिवहन पोर्टल से नेशनल परमिट हासिल किया जा सकेगा।
अगर आरटीओ की ओर से 30 दिन के भीतर आवेदक को परमिट की मंजूरी नहीं दी जाती है तो परिवहन पोर्टल से स्वत: स्वीकृति मिल जाएगी। देशभर में पांच लाख से अधिक टूरिस्ट बसें परिचालन में हैं।