नई दिल्ली: दिल्ली के पटियाला हाउस कोर्ट ने टूलकिट मामले में आरोपित शुभम कर चौधरी, निकिता जैकब और शांतनु मुलुक को राहत दी है।
कोर्ट ने तीनों को गिरफ्तार करने से पहले उन्हें सात दिनों का नोटिस देने का आदेश दिया है। करीब साढ़े तीन घंटे की सुनवाई के बाद एडिशनल सेशंस जज धर्मेंद्र राणा ने ये आदेश दिया।
सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस ने कहा कि इस मामले में जांच अभी शुरुआती दौर में है, इसलिए तीनों को हिरासत में लेकर पूछताछ करने की जरूरत है।
सुनवाई के दौरान उपस्थित दिल्ली पुलिस के डिप्टी कमिश्नर ने कहा कि मामले में आरोपित जांच के दौरान झूठे बयान दे रहे हैं और अपने फोन एवं दूसरे उपकरणों से कुछ तथ्यों को डिलीट किया है।
डीसीपी ने कहा कि इस मामले में जांच के लिए हम विदेशी कंपनियों पर निर्भर हैं। आरोपितों ने जूम से बैठक की बात से इनकार किया है लेकिन हमें इसकी जांच करनी होगी।
ऐसी स्थिति नहीं होनी चाहिए कि जांच के दौरान हमें हिरासत देने से इनकार कर दिया जाए। तब कोर्ट ने कहा कि मामले का निस्तारण आज ही होना चाहिए।
कोर्ट ने दिल्ली पुलिस से पूछा कि आप ये बताएं कि आपके पास आरोपितों के खिलाफ पुख्ता साक्ष्य क्या हैं, जिसके लिए आपको हिरासत चाहिए।
अगर गिरफ्तार करना एकदम जरूरी है तो उन्हें नोटिस दीजिए। तब दिल्ली पुलिस ने कहा कि अगर गिरफ्तार करना किसी भी परिस्थिति में जरूरी हो तो सात दिनों का नोटिस दिया जा सकता है।
सुनवाई के दौरान शांतनु की ओर से वकील वृंदा ग्रोवर ने कहा कि वह ‘एक्सटिंक्शन रेबेलियन’ नामक पर्यावरण ग्रुप से जुड़ा हुआ है।
इस केस में जिस टूलकिट का आरोप लगाया जा रहा है, वो गूगल का डाक्यूमेंट है। उसमें देशभर में विरोध प्रदर्शनों की सूचना दी गई है।
ये सूचना समूचे इंटरनेट जगत में है। किसानों के प्रदर्शन पर ट्वीट करना एक सार्वजनिक मसले पर लोगों का ध्यान खींचने के लिए किया गया।
उस ट्वीट से देश के प्रधानमंत्री और संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग तक को टैग किया गया। उन ट्वीट में हिंसा भड़काने की बात कहीं नहीं की गई है।
वृंदा ग्रोवर ने अमीष देवगन बनाम भारत सरकार के केस का हवाला दिया। उन्होंने कहा कि टूलकिट को शेयर करना अपराध नहीं है। उन्होंने कहा कि शांतनु जांच में सहयोग कर रहा है।
आरोपित निकिता जैकब की ओर से वरिष्ठ वकील रेबेका जॉन ने कहा कि ‘एक्सटिंक्शन रेबेलियन’ एक शांतिप्रिय संस्था है।
वो विश्वव्यापी संस्था है। निकिता ने जूम मीटिंग में हिस्सा लिया, जिसमें पोएटिक जस्टिस फाउंडेशन के लोग भी शामिल थे। निकिता ने टूलकिट को एडिट नहीं किया बल्कि इसके लिए काम किया।
निकिता जिस जूम मीटिंग में शामिल हुई। वो ये भी नहीं जानती थी कि उसमें कौन-कौन क्या है। निकिता ने कहीं भी प्रदर्शन में हिस्सा नहीं लिया।
निकिता टूलकिट के दूसरे सह-आरोपित शांतनु मुलुक को नहीं जानती है। उन्होंने कहा कि टूलकिट हिंसा भड़काने वाला नहीं है।
शुभम कर चौधरी की ओर से वकील सौतिक बनर्जी ने कहा कि दिल्ली पुलिस का जवाब दूसरे सह-आरोपितों पर लगाए गए आरोपों का कट एंड पेस्ट है।
सरकार कट एंड पेस्ट नहीं कर सकती है। शुभम ने जूम बैठक में हिस्सा लिया। उसका धालीवाल से कभी संपर्क नहीं हुआ। शुभम का काम केवल कोआर्डिनेट करना था।
उसने कभी टूलकिट को न देखा और न ही खोला। उसने टूलकिट के लिंक को पाकिस्तान के कुछ लोगों को भेजा।
तीनों की अग्रिम जमानत याचिका का विरोध करते हुए दिल्ली पुलिस की ओर से वकील इरफान अहमद ने कहा कि तीनों का छिपा हुआ एजेंडा था। लोगों को भारत के विरुद्ध भड़काना ही मुख्य उद्देश्य था।
उन्होंने कहा कि अगर किसी व्यक्ति की मंशा किसी को मारने को होगी तब सबसे पहले उसे कई तैयारियां करनी होंगी। जैसे ही वो ट्रिगर पर अंगुली रखेगा और गोली टारगेट पर नहीं लगी तो वह दोबारा कोशिश करेगा।
उन्होंने ट्वीट में इस्तेमाल किए गए हैशटैग का जिक्र किया और कहा कि ये संदेह पैदा करने वाले हैं। इस पर कोर्ट ने पूछा कि क्या कोई व्यक्ति गांधी के दर्शन से सहमत है तो उस आंदोलन को जिंदा रखना चाहता है तो इसमें गलत क्या है।
तब इरफान अहमद ने कहा कि ये लोग लोगों को झूठे दावे कर केंद्र सरकार के खिलाफ भड़का रहे थे। शुभम के मुताबिक वो ‘एक्सटिंक्शन रेबेलियन’ नामक संगठन के साथ जुड़ा हुआ है।
शांतनु और निकिता भी इस संस्था से जुड़े हुए हैं। याचिका में कहा गया है कि टूलकिट मामले में शुभम को झूठे तरीके से फंसाया गया है।
पिछले 23 फरवरी को कोर्ट ने इस मामले की आरोपित दिशा रवि को जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया था। पिछले 14 फरवरी को इस मामले में दिशा रवि को बेंगलुरु से गिरफ्तार किया गया था।
दिल्ली पुलिस के मुताबिक दिशा रवि ने शांतनु और निकिता पर आरोप मढ़ दिया। दिल्ली पुलिस ने शांतनु और निकिता को पूछताछ के लिए पिछले 22 जनवरी को बुलाया था।