नई दिल्ली: रेल मंत्री पीयूष गोयल ने शुक्रवार को कहा कि रेलवे ने कोविड-19 संकट के दौरान अस्पतालों में बिस्तरों की कमी की समस्या से जूझ रहे दिल्ली, उत्तर प्रदेश और बिहार को 813 आइसोलेशन रेल कोच मुहैया कराये थे।
उन्होंने कहा कि 20 साल से कम आयु वाले कोचों को फिर से सवारी डिब्बों के तौर पर इस्तेमाल किया जा सकता है।
रेल मंत्री गोयल ने आज राज्य सभा में एक प्रश्न के लिखित जवाब में कहा कि कोरोना वायरस वैश्विक महामारी से लड़ने के लिए भारतीय रेलवे द्वारा 5,601 सवारी डिब्बों को आइसोलेशन वार्ड में बदला गया।
इन डिब्बों को आइसोलेशन वार्ड में बदलने के लिए चिकित्सा सुविधाओं और अन्य मदों की व्यवस्था के साथ मिडिल बर्थ को हटाने और एक शौचालय को शावर रूम में बदलने जैसे मामूली संशोधन किए गए।
उन्होंने कहा कि वर्ष 2020-21 के दौरान (जनवरी 2021 तक) आइसोलेशन वार्ड में बदले गए रेल डिब्बों पर सभी 16 क्षेत्रीय रेलवे जॉन में 38.30 करोड रुपए का व्यय आया था।
इसमें सबसे अधिक 5.55 पूर्व रेलवे, 4.60 मध्य रेलवे, दक्षिण रेलवे 3.70, पूर्वोत्तर सीमा रेलवे 3.54, पश्चिम रेलवे 3.34 और उत्तर रेलवे 3.24 रहा।
वहीं सबसे कम 0.41 दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे और पूर्व मध्य रेलवे 0.59 करोड़ रुपये रहा।
गोयल ने कहा कि राज्य सरकारों दिल्ली 503, उत्तर प्रदेश 270 और बिहार 40 द्वारा मांगे जाने पर विभिन्न स्टेशनों पर ऐसे 813 डिब्बे लगाए गए थे और 135 डिब्बों का उपयोग किया गया था।
उल्लेखनीय है कि एक कोच में 16 बेड तैयार किए गए थे।
इस हिसाब से रेलवे ने तीनों राज्यों को 13 हजार से अधिक बिस्तरों की अतिरिक्त सुविधा मुहैया कराई थी।
आइसोलेशन कोच के भविष्य में इस्तेमाल को लेकर कार्ययोजना को लेकर पूछे गए एक अन्य सवाल के जवाब में रेल मंत्री ने कहा कि क्षेत्रीय रेलों को सूचित किया गया है कि 20 वर्ष से कम आयु वाले सवारी डिब्बा कारखाना (आईसीएफ) सवारी डिब्बों से परिवर्तित किए गए कोविड आइसोलेशन कोचों को परिचालनिक आवश्यकता के लिए सवारी डिब्बों की आवश्यकता बहाल किया जा सकता है।