रांची: राज्यसभा सांसद महेश पोद्दार ने बिना विलम्ब किये रांची में स्टील रिसर्च एंड टेक्नोलॉजी मिशन ऑफ़ इंडिया अर्थात (एसआरटीएमआई) का मुख्यालय स्थापित करने की मांग की है।
सोमवार को पोद्दार ने शून्यकाल के तहत राज्यसभा में यह मामला उठाया और रांची को एसआरटीएमआई के मुख्यालय के लिए सर्वाधिक उपयुक्त स्थान बताया।
भारत सरकार ने इस्पात उद्योग में अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए सार्वजनिक और निजी क्षेत्र की संयुक्त भागीदारी से एसआरटीएमआई का गठन किया है।
पोद्दार ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और इस्पात मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान के नेतृत्व में इस्पात उत्पादन के क्षेत्र में विश्व में दूसरे स्थान पर पहुंच गया है।
भारत ने 2030 तक 300 मिलियन टन स्टील उत्पादन का लक्ष्य रखा है, जो शीघ्र ही पूरा होता दिख रहा है।
फिलहाल देश में स्टील का उत्पादन 100 मिलियन टन है|
भारत सरकार ने इस्पात उद्योग में, अनुसन्धान की प्रक्रिया में निजी क्षेत्र के उद्यमियों के सहयोग और उनकी भागीदारी का महत्व समझते हुए स्टील रिसर्च एंड टेक्नोलॉजी मिशन ऑफ़ इंडिया का गठन किया है|
एसआरटीएमआई के संचालन के लिए सोसायटी का गठन हो चुका है, जहां तक एसआरटीएमआई के मुख्यालय और प्रयोगशाला का प्रश्न है, झारखण्ड की राजधानी रांची सर्वाधिक उपयुक्त स्थान है।
झारखण्ड में प्रचुर मात्रा में लौह अयस्क, कोयला सहित सभी तरह के इनपुट उपलब्ध हैं तथा रांची से निजी क्षेत्र व सार्वजनिक क्षेत्र के स्टील संयंत्र या स्टील उद्योग के केंद्र टाटा स्टील, जेएसपीएल, भिलाई, दुर्गापुर, बर्नपुर, राऊरकेला आदि महज कुछ घंटों की दूरी पर हैं।
इसके अलावा, रांची में स्टील अथॉरिटी ऑफ़ इंडिया का आरएंडडी, नेशनल मेटलर्जिकल लेबोरटरी आदि जैसे विश्व के नामे जाने लैब भी अवस्थित हैं।
रांची में ही लोक उपक्रम भारी अभियंत्रण निगम लिमिटेड का संयंत्र और परिसर है, जो इन दिनों बुरे दौर से गुजर रहा है और जिसके परिसर में काफी खाली जमीन उपलब्ध है।
भवन और आधारभूत संरचना संबंधी काफी सुविधायें मौजूद हैं|
उल्लेखनीय है कि भारत के छोटे-मध्यम स्टील प्लांट लो ग्रेड कोयला और लो ग्रेड आयरन ओर के साथ, अपेक्षाकृत साधारण तकनीक से ही करीब 60 प्रतिशत इस्पात का उत्पादन कर रहे हैं, जो विश्व में और कहीं नहीं हो रहा है।
अगर इस क्षेत्र को आर एंड डी अर्थात अनुसंधान और विकास का सपोर्ट मिल जाये तो बहुत अच्छी प्रगति हो सकती है|