बीजिंग: वैश्विक चुनौतियों का सामना करने के लिए चीन और अमेरिका के बीच सहयोग दुनिया के कई देशों की समानअपेक्षा है।
चीन विकास मंचके 2021 वार्षिक सम्मेलन के चीन-अमेरिका सहयोग की नई सूची शीर्षक उप-मंच में चीनी और विदेशी मेहमानों ने महामारी के मुकाबले, आर्थिक व व्यापारिक सहयोग, सांस्कृतिक आदान-प्रदान समेत क्षेत्रों में चीन और अमेरिका के सहयोग करने के तरीकों पर विचार-विमर्श किया।
छिंहुआ विश्वविद्यालय के राष्ट्रीय वित्त संस्थान के प्रमुख जू मिन ने कहा कि चीन और अमेरिका को अर्थव्यवस्था, व्यापार समेत विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग को मजबूत करना चाहिए और वैश्विक आर्थिक विकास व वैश्विक वित्तीय स्थिरता का समर्थन करने की आवश्यकता है।
उन्होंने कहा कि पहला, अमेरिकी केंद्रीय बैंक की मौद्रिक नीति वैश्विक अर्थव्यवस्था पर बहुत बड़ा प्रभाव डालती है, जबकि चीन की मौद्रिक नीतियों स ेएशियाई विनिमय दरों और वैश्विक वित्तीय बाजारों पर भी बहुत बड़ा प्रभाव पड़ता है।
दोनों पक्षों को मौद्रिक नीतियों में घनिष्ठ सहयोग करने की आवश्यकता है।
दूसरा, कोविड-19 महामारी पूरी तरह से खत्म नहीं हुई है और वर्तमान में व्यापारिक वित्तपोषण और व्यापारिक प्रवाह बहुत सुचारू नहीं हैं। दोनों देशों की सरकारों को वैश्विक व्यापार का समर्थन करने की जरूरत है।
तीसरा, भू-राजनीतिक समस्या पिछले साल में अधिक से अधिक गंभीर हो गयी।
कई कंपनियां वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं के समायोजन पर विचार कर रही हैं, जिससे निश्चित रूप से वैश्विक विकास और वित्तीय स्थिरता पर प्रभाव पड़ेगा।
अमेरिका और चीन को वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला की स्थिरता को बनाए रखने के लिए सहयोग करना चाहिए।
कार्लाइल ग्रुप के सह-संस्थापक और सह-कार्यकारी बोर्ड के अध्यक्ष डेविड रुबिनस्टीन की सहयोग सूची में वैक्सीन सहयोग, जलवायु परिवर्तन, परमाणु हथियार नियंत्रण, वैश्विक विकास खाई को पाटना आदि शामिल हैं।
उनका मानना है कि दोनों देशों को विशेष रूप से विकासशील देशों को विकास की खाई पाटन ेमें मदद देने में सहयोग करने की आवश्यकता है।
चीन के फुडान विश्वविद्यालय के अंतरराष्ट्रीय मामले अनुसंधान संस्था के प्रमुखवूशिन बो का मानना है कि अमेरिका की नई सरकार को ट्रंप प्रशासन द्वारा लगातार कमजोर किए गए चीन-अमेरिकी सांस्कृतिक आदान-प्रदान में सुधार करना चाहिए, ताकि चीनी छात्र और विद्वान आसानी से अध्ययन और अनुसंधान करने के लिए अमेरिका जा सकें।
चीन और अमेरिका को तकनीकी क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा से निपटन ेकी आवश्यकता है, विशेष रूप से उभरती प्रौद्योगिकियों से संबंधित नियमों का निर्माण।
उन्होंने जोर देकर कहा कि चीन के प्रति पूर्व अमेरिकी सरकार द्वारा फैलाये गए नीतिगत जहर को खत्म करना और चीन का सम्मान करना दोनों देशों के बीच गहन सहयोग करने की पूर्व-शर्त है।
हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर ग्राहम एलिसन ने बताया कि अमेरिका के पेरिस समझौते में लौटने के बाद अमेरिका और चीन को जलवायु परिवर्तन के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि जो बाइडेन के राष्ट्रपति बनने के बाद अमेरिका पेरिस समझौते में वापस लौटा।
चीन और अमेरिका जी-20 के संबंधित कार्य समूहों का सह-नेतृत्व करेंगे।
उन्होंने अपेक्षा जतायी कि दोनों देश संबंधित मुद्दों को आगे बढ़ाने के लिए कुछ विशिष्ट पहल पेश करेंगे।