रांची: झारखंड विधानसभा के बजट सत्र के 15वें दिन की कार्यवाही के दौरान सोमवार को तीन विधेयकों को ध्वनिमत मंजूरी प्रदान कर दी गयी।
सोमवार को दूसरी पाली की कार्यवाही में झारखंड माल एवं सेवा कर संशोधन विधेयक 2021, झारखंड हरित ऊर्जा उपकर विधेयक 2021 और सिगरेट और अन्य तम्बाकू उत्पाद (विज्ञापन का प्रतिषेध और व्यापार तथा वाणिज्य, उत्पादन, प्रदाय और वितरण विनियमन) (झारखंड संशोधन) विधेयक 2021 पास किया गया।
झारखंड हरित ऊर्जा उपकर विधेयक 2021 वित्त विधेयक होने के बावजूद राज्यपाल की स्वीकृति के सनलेख लगाये बिना पास किया गया। इस पर विधायक सरयू राय ने आपत्ति दर्ज कराया।
उन्होंने विधानसभा अध्यक्ष रविंद्र नाथ महतो से कहा कि झारखंड हरित ऊर्जा उपकर विधेयक वित्तीय विधेयक हैं। इसलिए इसपर राज्यपाल से स्वीकृति लेनी होती है।
अगर राज्यपाल से स्वीकृति ली गयी है तो इसमें सनलेख लगाना चाहिये। लेकिन आसान की और इसपर कोई जवाब नही आया।
वहीं भाजपा विधायक अमर कुमार बाउरी ने कहा कि बिना राज्यपाल के अनुमोदन के बिल लाकर पारित कराना गलत परिपाटी की शुरुआत है।
सरकार नियमों को ताक पर रख मनमानी कर रही है। वहीं वित्त मंत्री रामेश्वर उरांव ने कहा कि इसपर विधानसभा अध्यक्ष बतायेंगे, वे कुछ नहीं कह सकते। उन्होंने कहा कि इतना जरूर कहेंगे की आपत्ति बगैर पढ़े लिखे दर्ज करायी गयी है।
इस पर विधायक प्रदीप यादव ने कहा कि नियमतः राज्यपाल से स्वीकृति लेना चाहिये। इस पर भी लिया होगा लेकिन इसे सरकार बता नहीं पायी।
खुले में सिगरेट पीने पर अब एक हजार रुपया जुर्माना लगेगा
सिगरेट और अन्य तम्बाकू उत्पाद (विज्ञापन का प्रतिषेध और व्यापार तथा वाणिज्य, उत्पादन, प्रदाय और वितरण विनियमन) (झारखंड संशोधन) विधेयक 2021 के तहत अब राज्य में खुले में सिगरेट पीने पर अब एक हजार रुपया जुर्माना लगेगा। पहले 200 रुपये लगता था। संशोधन के तहत अब पांच गुणा बढ़ाया गया है।
लंबोदर महतो और चंद्रवंशी ने लाया था संशोधन प्रस्ताव
अब किसी सार्वजनिक स्थल पर सिगरेट पीते पकड़े जाने पर 200 रुपये की जगह 1000 रुपये का जुर्माना लगेगा।
आजसू के विधायक लंबोदर महतो ने संशोधन प्रस्ताव के तहत जुर्माने की राशि दस हजार रुपये करने की मांग की थी, जिसे अस्वीकृत कर दिया गया। इस पर भाजपा के विधायक रामचंद्र चंद्रवंशी ने भी संशोधन विधेयक लाया था।
रामचंद्र चंद्रवंशी ने झारखंड हरित ऊर्जा उपकर विधेयक को भी विधानसभा के प्रवर समिति को सौंपने की मांग की थी, जिसे अस्वीकृत कर दिया गया और ध्वनि मत से विधेयक पारित कर दिया गया। इस पर रामचंद्र चंद्रवंशी ने कहा कि अगर उनका संशोधन गलत है, तो वे राजनीति से संन्यास ले लेंगे।