रांची: विधानसभा अध्यक्ष के न्यायाधिकरण में दसवीं अनुसूची मामले पर बुधवार को सुनवाई हुई। विधानसभा अध्यक्ष न्यायाधिकरण में बाबूलाल पर दलबदल के चार मामले दर्ज हैं।
सुनवाई के दौरान बाबूलाल मरांडी के वकील आर एन सहाय ने कहा कि नेता प्रतिपक्ष का मामला हाइकोर्ट में लंबित है और खुद विधानसभा अध्यक्ष ने एफिडेविट के लिए चार हफ्ते का समय मांगा है, जिसकी सुनवाई छह अप्रैल को होनी है।
इसलिए उन्होंने मांग की कि फेयर जजमेंट के लिये नेता प्रतिपक्ष के मामले पर हाइकोर्ट का फैसला आने तक 10वीं अनुसूची मामले की सुनवाई नहीं होनी चाहिए। अगर ऐसा हुआ तो वो मामला प्रभावित होगा।
उसके बाद दूसरे पक्ष के वकील ने कहा कि बाबूलाल मरांडी के वकील की मंशा मामले में देरी कराने की है।
यह छोटा सा मामला है। इसमें यह देखना है कि विधानसभा में विधायकों का दो तिहाई बहुमत शामिल हुआ है या नहीं। बंधु तिर्की और प्रदीप यादव दो तिहाई हैं। इसलिए फैसला किया जाना चाहिए।
मामले में बाबूलाल का कहना है कि पार्टी ने सर्वसम्मति से फैसला किया था कि पार्टी को मर्ज किया जाए।
वहीं प्रदीप यादव और बंधु तुर्की को पार्टी विरोधी गतिविधियों के लिए निलंबित किया गया था।
इसलिए वे पार्टी के विधायक थे ही नहीं, मैं ही अकेला विधायक था। विधानसभा अध्यक्ष ने दोनों पक्षों की बात सुनने के बाद सुनवाई अगली तारीख के लिए स्थगित कर दी।
बाबूलाल मरांडी के खिलाफ स्पीकर न्यायाधिकरण में चार मामले अलग-अलग दर्ज हैं।
राजकुमार यादव, प्रदीप यादव और बंधु तुर्की और दीपिका पांडेय सिंह ने अलग मामला दर्ज कराया है।