रांची: सत्यनिष्ठ और निर्भीक विवेकशील पत्रकारिता की बात गणेश शंकर विद्यार्थी कहते थे कि तब संघर्ष का समय था, जो आज समझौते के दौर में बदल गया है। जनतंत्र भी धनतंत्र में परिवर्तित हो रहा है।
आज जो चुनौतियां देश की हैं। वहीं चुनौतियां पत्रकारिता की हैं। उक्त बातें ख्यात समालोचक रविभूषण ने गुरूवार को रांची प्रेस क्लब में कहीं।
वह ‘गणेश शंकर विद्यार्थी की शहादत और पत्रकारिता की वर्तमान चुनौतियां’ विषय पर हुए परिसंवाद की अध्यक्षता कर रहे थे।
स्वतंत्रता समर के सेनानी और पत्रकार गणेश शंकर विद्यार्थी के शहादत दिवस पर सामाजिक मुहिम ‘मानवीय एकता’ के साथ प्रेस क्लब ने स्मृति समारोह सह संवाद-तीन आयोजित किया था।
रविभूषण ने कहा कि विद्यार्थी ने मजदूर-किसान को विकास की रीढ़ माना था।
कहा था, उनकी उन्नति पर देश का भविष्य आधारित है। आज सच बोलने से देशद्रोही कह दिया जाता है।
लेकिन आज जिस प्रकार अमर्यादित भाषा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आलोचना की जा रही है, कभी ऐसा नहीं हुआ।
यह कतई सही नहीं कहा जा सकता है। हमें शालीनता और विवेक का ख्याल रखना चाहिए।
बतौर मुख्या वक्ता वरिष्ठ पत्रकार वैद्यनाथ मिश्र ने कहा कि गणेश शंकर विद्यार्थी वैचारिक समन्वय के हिमायती थे।
आज हर क्षेत्र में नैतिकता का क्षरण हुआ है। महज पत्रकारिता से ही अधिक अपेक्षा नहीं की जानी चाहिए।
उन्होंने प्रेस क्लब को भी एक सुझाव दिया कि उत्तर प्रदेश के सीएम से मिलकर कानपुर के मूल गंज चौराहा पर विद्यार्थी की प्रतिमा लगवाने की मांग की जाए, जिस जगह वो शहीद कर दिए गए थे।
वरिष्ठर लेखक महादेव टोप्पो ने हिंदी पत्रकारिता के खास मुद्दे पर केंद्रित होने का सवाल उठाया।
उन्होंने कहा कि हिंदी पत्रकारिता की अपेक्षा असम और बंगाली पत्रकारिता ज़मीन से जुड़ी हुई है।
डॉ रामदयाल मुंडा जनजातीय शोध संस्थान के निदेशक व कवि-लेखक रणेन्द्र कुमार ने कहा कि अब मीडिया का अर्थ व्यापक हो चुका है।
डॉ विजय भास्कर ने कहा कि आज चुनौतियां तब से अधिक नहीं हैं। लेकिन तब सामाजिक सरोकार प्राथमिकता होती थी।
डिजिटल प्रेजेंटेशन के साथ वरिष्ठ पत्रकार शंभूनाथ चौधरी ने विषय प्रवर्तन करते हुए विद्यार्थी के जीवन और कर्म पर समुचित प्रकाश डाला। संचालन संवाद के संयोजक व प्रेस क्लब के कार्यकारिणी सदस्य शहरोज कमर ने किया।
आभार ज्ञापन प्रेस क्लब के महासचिव अखिलेश सिंह ने किया। मौके पर प्रेस क्लब के उपाध्यक्ष पिंटु दुबे, सुशील सिंह मंटू आदि उपस्थित थे।