नई दिल्ली: विधानसभा चुनावों से पहले कांग्रेस में गुटबाजी बढ़ गई है और सूत्रों का कहना है कि कई नेताओं के पार्टी से बाहर होने के बाद केरल में कांग्रेस टुकड़ों में बंटी नजर आ रही है।
राज्य में पार्टी पूर्व मुख्यमंत्री ओमन चांडी और विपक्ष के नेता रमेश चेन्निथला के बीच बंटी हुई है, लेकिन अब एक और गुट उभरकर सामने आ रहा है जिसका नेतृत्व राहुल गांधी के करीबी और पार्टी के महासचिव के.सी. वेणुगोपाल कर रहे हैं।
पार्टी के हाई प्रोफाइल नेता पी.सी. चाको और कई अन्य नेताओं के जाने के बाद गुटबाजी साफ नजर आ रही है।
हालांकि, सोनिया गांधी के समय पर हस्तक्षेप करने के कारण पूर्व केंद्रीय मंत्री के.वी. थॉमस पार्टी में रुक गए गए।
सूत्रों का कहना है कि मामला अभी भी खत्म नहीं हुआ है और यदि पार्टी चुनाव हारती है तो इसकी वजह गुटबाजी ही होगी।
सूत्रों का कहना है कि वेणुगोपाल के बढ़ते दबदबे से पार्टी के नेता खफा हैं, क्योंकि उन्होंने पर्यवेक्षकों और स्क्रीनिंग कमेटी के सदस्यों के जरिए उम्मीदवारों के नाम आगे बढ़ाने की कोशिश की।
लिहाजा बाद में सोनिया गांधी ने हस्तक्षेप करके मामले को सुलझाया।
सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस महासचिव तारिक अनवर इस तनाव को दूर करने और विधानसभा चुनाव में पार्टी को एलडीएफ के खिलाफ एकजुट रखने की पुरजोर कोशिश कर रहे हैं।
राहुल गांधी खुद भी खासतौर पर इस राज्य पर ध्यान दे रहे हैं। अगले हफ्ते वे 2 दिन तक यहां प्रचार भी करेंगे और राज्य के नेताओं से मिलेंगे।
जाहिर है कांग्रेस राज्य में वापसी करने के लिए पूरी ताकत लगा रही है और पार्टी इसके लिए मजबूत चेहरा सामने रख रही है। चूंकि राहुल गांधी वायनाड से सांसद भी हैं इसलिए भी इन चुनावों में कांग्रेस की प्रतिष्ठा दांव पर है।
वैसे पूर्व मुख्यमंत्री ए.के. एंटनी के समर्थक उन्हें मुख्यमंत्री के चेहरे के तौर पर आगे ला रहे हैं, लेकिन उन्होंने यह स्पष्ट कर दिया है कि वह इस दौड़ में नहीं हैं।
उन्होंने साफ कह दिया है, राज्यसभा में मेरा कार्यकाल अगले साल पूरा हो रहा है और उसके बाद मैं तिरुवनंतपुरम लौटने की योजना बना रहा हूं।
मैंने साफ कर दिया है कि मेरा राज्य की राजनीति में कोई रोल नहीं है और 2004 में भी मैं यह कह चुका हूं।
हालांकि उन्होंने कहा कि वह राज्य में पार्टी के लिए प्रचार कर रहे हैं और उनके बेटे अनिल के. एंटनी राज्य कांग्रेस के सोशल मीडिया हेड हैं।