कोलकाता: पश्चिम बंगाल भाजपा अध्यक्ष दिलीप घोष ने कहा है कि भाजपा के जीतने की स्थिति में जरूरी नहीं कि कोई नवनिर्वाचित विधायक ही मुख्यमंत्री बने।
उन्होंने दावा किया कि पार्टी के पक्ष में पैदा हुई मजबूत लहर विधानसभा चुनाव के अंतिम चरण के मतदान तक रहेगी।
उन्होंने कहा, ‘‘पहले चरण के मतदान के बाद सिर्फ भाजपा ही अपनी जीत को लेकर आश्वस्त है जबकि तृणमूल कांग्रेस और उसके नेता हताश हैं।
जैसे-जैसे चुनाव आगे बढ़ेगा, भाजपा के पक्ष में बना माहौल और मजबूत होता जाएगा और तृणमूल कांग्रेस के कार्यकर्ताओं को हार का एहसास होता चला जाएगा।’’
भाजपा ने पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में केंद्रीय मंत्री बाबूल सुप्रीयो सहित लोकसभा के तीन सदस्यों और एक राज्यसभा सदस्य स्वप्न दासगुप्ता को उम्मीदवार बनाया है लेकिन घोष इनमें शामिल नहीं हैं।
पार्टी के जीतने की स्थिति में घोष मुख्यमंत्री पद के प्रबल दावेदारों में से एक हैं।
यह पूछे जाने पर कि भाजपा के चुनाव जीतने की स्थिति में क्या नवनिर्वाचित विधायकों में से ही कोई मुख्यमंत्री होगा, उन्होंने कहा, ‘‘इस बारे में कोई भी फैसला पार्टी ही करेगी लेकिन यह जरूरी नहीं कि नवनिर्वाचत विधायकों में से ही कोई मुख्यमंत्री बने। जब ममताजी मुख्यमंत्री बनी थीं तब वह विधायक नहीं थीं।’’
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के पहले चरण की 30 में से 26 सीटें जीतने के दावे का उल्लेख करते हुए घोष ने कहा कि राज्य की जनता अब स्वतंत्रतापूवर्क मतदान करने से डर नहीं रही है।
उन्होंने कहा कि बीजेपी के पक्ष में मजबूत लहर है और यह चुनाव परिणमों में भी परिलक्षित होगा।
प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष ने कहा कि कोलकाता और इसके आसपास के जिलों में बीजेपी की स्थिति कमजोर थी और पार्टी ने इन क्षेत्रों में बहुत काम किया और इसका असर अब चुनावों में दिखेगा।