न्यूज़ अरोमा चाईबासा : राज्य में कोविड-19 को लेकर पहले से गाइडलाइन लागू है। 8 अप्रैल से नयी गाइडलाइन भी लागू हो रही है।
सार्वजनिक स्थल पर पांच से अधिक लोगों का इकट्ठा होना मना है। मुंह और नाक पर मास्क लगाना अनिवार्य है। दो गज की शारीरिक दूरी बनाये रखने की भी सख्त हिदायत है।
लेकिन, बुधवार को चाईबासा में डीजीपी के कार्यक्रम की जो तस्वीरें सामने आयी हैं, उनसे पता चल रहा है कि इस कार्यक्रम में इन सभी गाइडलाइन्स को नजरअंदाज कर दिया गया।
इस कार्यक्रम में लोगों की भीड़ जुटी (पांच से अधिक लोग)। इस भीड़ में शामिल लोग न मास्क लगाये दिखे और न ही उनके बीच दो गज की अनिवार्य शारीरिक दूरी मेंटेन की गयी।
डीजीपी समेत अन्य अधिकारी बैठे रहे टेंट के साये में, चिलचिलाती धूप में तपते रहे ग्रामीण
दरअसल, झारखंड के डीजीपी नीरज सिन्हा बुधवार को पश्चिमी सिंहभूम (चाईबासा) जिले के टोंटो थाना क्षेत्र गये थे। उन्होंने यहां के अति नक्सल प्रभावित क्षेत्र में स्थित पुलिस पिकेट टोंटो (पालीसाई) का दौरा किया।
इस दौरान डीजीपी ने वहां पर स्थालनीय मुंडा मानकी एवं आस-पास के ग्रामीणों से सीधे संवाद किया तथा उनको हो रही कठिनाइयों के बारे में जानकारी ली।
ग्रामीणों ने डीजीपी से मुख्यतः पेयजल, बैंक की समस्या, मोबाइल नेटवर्क की समस्या सहित अन्य समस्याओं से अवगत कराया। डीजीपी ने ग्रामीणों की समस्याओं को गंभीरता से लेते हुए समाधान का भरोसा दिलाया।
इस दौरान सामुदायिक पुलिसिंग के तहत उपस्थित ग्रामीणों के बीच 150 पीस जर्सी, 10 फुटबॉल, 50 पीस धोती, 50 पीस गंजी, 50 पीस साड़ी, 50 पीस लुंगी, 60 पीस गमछा और 100 जोड़ी चप्पल का वितरण किया गया।
लेकिन, डीजीपी के इस कार्यक्रम के दौरान वहां इकट्ठा हुई ग्रामीणों की भीड़ में कोई भी मास्क लगाये हुए नहीं था।
डीजीपी समेत अन्य अधिकारी खुद तो टेंट के साये में बैठे हुए थे, लेकिन ग्रामीण खुले आसमान के नीचे चिलचिलाती धूप में बैठे रहे। हालांकि, उनके लिए कुर्सियों का तो इंतजाम किया गया, लेकिन दो गज की शारीरिक दूरी मेंटेन नहीं की गयी।
ऐसे में जब राज्य में कोरोना संक्रमण फिर से विकराल रूप लिये जा रहा है, ग्रामीणों को इस संक्रमण के खतरे में झोंक दिया गया।
कानून के रक्षकों द्वारा ही कोविड-19 को लेकर जारी गाइडलाइन्स को नजरअंदाज कर दिया गया।
बता दें कि इस पुलिस पिकेट में इस कार्यक्रम से पहले डीजीपी ने नक्सलियों और उग्रवादियों के खिलाफ चल रहे अभियान तथा आगे चलनेवाले अभियान की समीक्षा की। इस दौरान उन्होंने अधिकारियों को कई दिशा-निर्देश दिये।
इसके अलावा डीजीपी ने सीआरपीएफ के साथ संयुक्त रूप से नक्सलियों और उग्रवादियों के खिलाफ सघन अभियान चलाने के लिए उच्चस्तरीय बैठक की।
इस दौरान डीजीपी ने सुरक्षाबलों के साथ बातचीत कर उनका हौसला भी बढ़ाया।
इस दौरान डीजीपी के साथ स्पेशल ब्रांच के एडीजी मुरारी लाल मीणा, सीआरपीएफ झारखंड सेक्टर के पुलिस महानिरीक्षक डॉ महेश्वर दयाल, आईजी अभियान अमोल वी होमकर, चाईबासा-सिंहभूम (कोल्हान) क्षेत्र के डीआईजी राजीव रंजन सिंह, चाईबासा में सीआरपीएफ के पुलिस डीआईजी आशीष शुक्ला और चाईबासा-पश्चिमी सिंहभूम के पुलिस अधीक्षक अजय लिंडा भी मौजूद थे।