रांची : झारखंड की राजधानी में स्वास्थ्य व्यवस्था के बिगड़े स्वास्थ्य को लेकर राज्य सरकार को हाई कोर्ट से फिर खरी-खरी सुननी पड़ी है।
झारखंड हाई कोर्ट ने इस बार राज्य के सबसे पड़े सरकारी अस्पताल रिम्स में मेडिकल फैसिलिटीज की कमी को लेकर राज्य सरकार को आईना दिखाया है। झारखंड हाई कोर्ट ने रिम्स में सीटी स्कैन मशीन नहीं होने को शर्मनाक बताया है।
दरअसल, इस मामले को लेकर गुरुवार को झारखंड हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस डॉ रवि रंजन और जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद की खंडपीठ ने सुनवाई की।
जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान कोर्ट ने मौखिक टिप्पणी में कहा कि यह शर्म की बात है कि झारखंड के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल रिम्स में सीटी स्कैन मशीन नहीं है।
वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये हुई सुनवाई में राज्य के स्वास्थ्य सचिव केके सोन और रिम्स निदेशक ऑनलाइन उपस्थित हुए।
अदालत ने रिम्स के रवैये पर कड़ी नाराजगी जाहिर की। रिम्स निदेशक को आदेश दिया कि वे गुरुवार को ही राज्य सरकार को सीटी स्कैन मशीन की खरीदारी के लिए लिखित आग्रह करें।
शुक्रवार को फिर होगी सुनवाई
खंडपीठ ने रिम्स के रवैये को शिथिल बताया। कोर्ट शुक्रवार को फिर इस मामले की सुनवाई करेगा।
सुनवाई के वक्त अदालत ने स्वास्थ्य सचिव और रिम्स के निदेशक को सुनवाई में उपस्थित रहने का निर्देश दिया है।
बता दें कि कोरोना काल के दौरान रिम्स में लगातार अनियमितता बरते जाने की खबरें आ रही थीं।
झारखंड हाई कोर्ट ने इन पर स्वतः संज्ञान लिया था। बाद में कोर्ट ने इसे जनहित याचिका में तब्दील कर दिया।
पिछली सुनवाई के दौरान अदालत ने रिम्स से पूछा था कि कोरोना काल में रिम्स में कौन-कौन से उपकरण खरीदे गये हैं।
अब तक सीटी स्कैन एवं पैथोलॉजी की मशीन क्यों नहीं खरीदी गयी है।
अदालत ने यह भी पूछा था कि जब रिम्स सरकारी संस्थान है, तो पैथोलॉजी जांच निजी संस्थानों से क्यों करायी जाती है।
इन सभी बिंदुओं पर झारखंड हाई कोर्ट ने रिम्स प्रबंधन से जवाब तलब किया था।