रतलाम: कोरोना की दूसरी लहर में तेजी से बढ़ रहे संक्रमितों के इलाज के लिए जरूरत पडऩे पर रेलवे के 5071 आइसोलेशन कोच तैयार हैं।
इनमें रतलाम मंडल के 70 सहित 460 पश्चिम रेलवे जोन के कोच हैं। 4611 कोच बाकी 15 जोन के हैं। हर एक कोच में 16 बेड हैं।
जरूरत पड़ी तो देश के अलग-अलग स्टेशनों पर खड़े इन आइसोलेशन कोच में करीब 81136 पॉजिटिव या संदिग्ध मरीजों को भर्ती करके उपचार किया जा सकेगा। एक शहर से दूसरे शहर ले जाया जा सकेगा।
इनमें रेलवे और स्वास्थ्य विभाग मिलकर मेडिकल स्टाफ तैनात करेगा।
हालांकि अब तक इनके इस्तेमाल की नौबत नहीं आई है फिर भी कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर को देखते हुए रेलवे ने सालभर पहले बनाए गए इन कोच का मेंटेनेंस कराकर इस्तेमाल के लिए तैयार कर लिया है।
2020 के टोटल लॉकडाउन के बाद अप्रैल-मई में रेलवे ने देश के 16 जोन में 5,321 आईसीएफ स्लीपर कोच को आइसोलेशन वार्ड में बदला था। प्रत्येक कोच को तैयार करने में करीब 2 लाख रुपए का खर्च आया था।
पैसेंजर कोच में कन्वर्ट किए थे काम नहीं आने पर जनवरी में रेलवे बोर्ड ने इनका फिर यात्री ट्रेनों में उपयोग करने को कहा था।
इसके बाद 250 कोच फिर पैसेंजर में कन्वर्ट कर लिए थे, जबकि बाकी राज्य शासन से परमिशन नहीं मिलने के कारण अब भी आइसोलेशन कोच बने हुए हैं।
ऑक्सीजन सिलेंडर स्टैंड। मेडिकल उपकरण चलाने पॉवर प्लग सॉकेट लगाए गए हैं। बॉटल स्टैंड। खिड़कियों पर बाहर से मच्छरदानी लगा दी है। एक कोच में दो को बाथरूम व दो को टॉयलेट में बदला है।