नई दिल्ली: कोरोना महामारी की दूसरी लहर में वायरस के नए स्वरूप काफी तेज हो चुके हैं। वैज्ञानिकों ने इस थ्योरी को गलत बताते हुए कहा है कि समय के साथ-साथ वायरस में तेजी से बदलाव हो रहे हैं।
अगर वायरस के इन आनुवांशिक परिवर्तन को समझना है तो उसके लिए म्यूटेशन इत्यादि के बारे में जानना चाहिए।
डबल या ट्रिपल म्यूटेशन के नाम से लोगों में काफी पैनिक भी है।
नए स्पाइक म्यूटेशन पहले की तुलना में काफी शक्तिशाली हैं।
इनके तेजी से फैलने के साक्ष्य अधिक नहीं है लेकिन लोगों की इम्यूनिटी को तोड़ने में जरूर इनकी भूमिका रहती है।
फेफड़ों पर तेजी से हावी होना, मरीज में उच्च संक्रमण की स्थिति बताना और तीन से चार दिन में ही सांस लेने में दिक्कतें पैदा करना इनके लक्षण हैं।
हैदराबाद स्थित सीसीएमबी के दिव्य तेज सोवपति का कहना हे कि जीनोम सीक्वेसिंग के जरिये उनके पास हर दिन जानकारी अपडेट हो रही है।
अभी दिल्ली, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल सहित कई राज्यों में नए स्पाइक म्यूटेशन देखने को मिल रहे हैं।
इन्हीं पर किए अध्ययन में पता चला है कि कोवाक्सिन और कोविशील्ड वैक्सीन नए वेरिएंट्स पर असरदार हैं।
पश्चिम बंगाल में बी.1.618 की पुष्टि पिछले साल अक्तूबर में हुई थी लेकिन मार्च में यहां से आए सभी सैंपल में यह मिला है।
इससे अधिक चिंता की बात यह है कि इस नए वेरिएंट में डीईएल145-146 और ई484के दोनों म्यूटेशन एकसाथ देखने को मिल रहे हैं। इन दोनों ही म्यूटेशन की पहचान इम्युनिटी को कमजोर करने में हुई है।