लंदन: कोरोना वायरस, जिसकी चर्चा इन दिनों तर तरफ है। ये वायरस लोगों को अपना शिकार बना रहा है, और कई लोगों की तो जान तक ले रहा है। ऐसे में हर कोई परेशान है, लोग डरे हुए हैं और उनका डरना स्वाभाविक भी है।
वहीं, अस्पतालों में बेड और ऑक्सीजन की कमी से भी लोग काफी परेशान है। हर कोई बस यही दुआ कर रहा है कि ये कठिन समय जल्द से जल्द बीत जाए। लेकिन क्या आप जानते हैं कि ये कोरोना वायरस आज से धरती पर नहीं है।
ये वायरस लगभग 25 हजार साल पहले से इंसानों को परेशान कर रहा है, लेकिन ऐसा एक अध्ययन कह रहा है।
दरअसल, इस अध्ययन को यूनिवर्सिटी ऑफ एरिजोना के असिस्टेंट प्रोफेसर डेविड एनार्ड ने किया है। हालांकि, इसका अब तक पीयर रिव्यू नहीं हुआ है और साइंस जर्नल में इसके प्रकाशन के लिए रिव्यू किया जा रहा है।
प्रोफेसर डेविड ने कहा कि, ये हर समय एक ऐसा वायरस रहा है, जिसने लोगों का बीमार किया और मारा भी है।
डेविड ने बताया कि, इंसानों की तरह ही वायरस भी पीढ़ी दर पीढ़ी अपने नए जीनोम के जरिए आगे बढ़ते रहे हैं।
हर प्रकार के रोगाणु अपनी पीढिय़ों में लगातार बदलाव करते हैं
महज वायरस ही नहीं बल्कि ये प्रक्रिया हर प्रकार के पैथोजेन यानी रोगजनकों के साथ होती है। इसका मतलब है कि हर प्रकार के रोगाणु अपनी पीढिय़ों में लगातार बदलाव करते हैं, ताकि वो भी प्रकृति में सर्वाइव कर सकें।
प्रोफेसर डेविड ने बताया कि उनकी टीम ने प्राचीन कोरोना वायरस को खोजने के लिए विश्वभर के 26 अलग-अलग इंसानी आबादी के 2504 लोगों के जीनोम की जांच की।
इस जांच में जो सामने आया वो बेहद चौंकाने वाला था। इसमें पता चला कि कोरोना वायरस जैसे पैथोजेन इंसानों के डीएनए में प्राकृतिक चयन करके पीढ़ी दर पीढ़ी आगे बढ़ते आए हैं।
शरीर में 420 प्रकार के प्रोटीन से संपर्क में
वैज्ञानिकों ने जब जांच की तो पता चला कि कोरोना वायरस इंसान के शरीर में 420 प्रकार के प्रोटीन से संपर्क करता है, जिसमें से 332 प्रोटीन सीधे कोरोना खुद इंटरैक्ट करते हैं।
वहीं, उनका मानना है कि इस अध्ययन से इस बात में मदद मिलेगी कि भविश्य में किस तरह के वायरस आ सकते हैं और ये किस तरह के लोगों को संक्रमित करेगा।
वहीं, पूर्वी एशिया की इंसानी आबादी वाले लोगों में ऐसे जींस मिले हैं, जिनका संपर्क प्राचीन कोरोना वायरस से हुआ था।
यही नहीं, इसका प्रमाण उनके शरीर में अब भी मौजूद है। दुनियाभर में कई ऐसे कोरोना वायरस हैं, जो पीढ़ी दर पीढ़ी ज्यादा बार बाहर निकले और लोगों को बीमार किया।
इसमें होने वाले म्यूटेशन की वजह से पूर्वी एशिया के लोगों की प्रतिरोधक क्षमता मजबूत हो गई।
ऐसा इसलिए क्योंकि वो ज्यादा बार कोरोना की चपेट में आए और उनके शरीर में कोरोना वायरस के खिलाफ लडऩे के लिए एंटीबॉडी बनती चली गई।
प्रोफेसर डेविड की टीम ने देखा कि कोरोना वायरस से संपर्क में आने वाले इंसान के शरीर के 420 प्रोटीन के 42 कोड्स होते हैं और ये कोड्स 25 हजार साल पहले से लेकर पांच हजार साल पहले तक लगातार खुद को म्यूटेट और इवॉल्व करते रहे।
इसका मतलब आप कह सकते हैं कि कोरोना वायरस काफी पहले से लोगों को अपनी चपेट में लेता आ रहा है।