नई दिल्ली: अप्रैल के महीने में कोरोना ने भारत पर किस कदर सितम ढाया है इसका अंदाजा सिर्फ इससे ही लगाया जा सकता है कि देश में 15 से 24 अप्रैल के बीच यानी 9 दिनों में ही मेडिकल ऑक्सीजन की मांग 67 प्रतिशत बढ़ गई।
इतना ही नहीं जहां पहले सिर्फ 12 राज्यों को ऑक्सीजन की किल्लत थी तो वहीं अब केंद्र से ऑक्सीजन मांगने वाले राज्यों की संख्या बढ़कर 22 हो गई है। केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने 15 अप्रैल को 12 राज्यों के अतिरिक्त सचिवों/ प्रमुख सचिवों/ स्वास्थ्य सचिवों को चिट्ठी लिखकर 20 अप्रैल से शुरू होने वाले हफ्ते के लिए उनकी ओर से आई ऑक्सीजन की मांग के बाद किए गए आवंटन के बारे में सूचित किया था।
इन 12 राज्यों में महाराष्ट्र, गुजरात, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, दिल्ली, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, पंजाब, तमिलनाडु, केरल, छत्तीसगढ़ और राजस्थान शामिल थे।
चिट्ठी में राजेश भूषण ने उन ऑक्सीजन उत्पादन करने वाले संयंत्रों की भी जानकारी दी थी जहां से इन राज्यों को ऑक्सीजन दी जानी थी।
इन राज्यों ने कुल मिलाकर 4 हजार 880 मीट्रिक टन मेडिकल ऑक्सीजन मांगी थी और उसी के हिसाब से आवंटन भी किया था।
10 दिनों के अंदर स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के संयुक्त सचिव निपुण विनायक ने 24 अप्रैल को राज्यों के स्वास्थ्य अधिकारियों को एक और चिट्ठी लिखी और उन्हें बताया कि 25 अप्रैल से उनकी मांग के हिसाब से कितना ऑक्सीजन आवंटन किया जा रहा है।
इससे यह पता लगा कि केंद्र से ऑक्सीजन मांगने वाले राज्यों की संख्या बढ़कर 22 हो गई और इन राज्यों ने कुल 8 हजार 172 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की मांग की है। जो कि 15 अप्रैल की तुलना में 67 फीसदी ज्यादा है।
निपुण विनायक की चिट्ठी से यह पता लगा कि केंद्र ने इन 22 राज्यों को कुल 8 हजार 280 मीट्रिक टन ऑक्सीजन आवंटित किया।
केंद्र से ऑक्सीजन मांगने वाले राज्यों में अब तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, उत्तराखंड, जम्मू-कश्मीर, गोवा, चंडीगढ़, हिमाचल प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, दादर और नगर हवेली, दमन और दीव भी शामिल हैं।