नागपुर: हाल ही में नागपुर के एक 85 वर्षीय आरएसएस स्वयंसेवक नारायण दाभडकर की अपना बेड किसी और को देने की घटना काफी चर्चित हुई है।
इस मामले में अस्पताल के डॉक्टरों का कहना है कि यह सही है कि दाभलकर उनके यहां भर्ती हुए थे जहां उनसे उच्चस्तरीय अस्पताल में शिफ्ट होने को कहा गया।
लेकिन किसी मरीज के लिए उन्होंने बेड खाली किया इसकी जानकारी नहीं है।
वहीं दाभडकर की बेटी का एक वीडियो सामने आया है जिसमें उन्होंने दुहराया है कि बेड के लिए बिलखते लोगों को देखकर उनके पिता ने घर वापसी का फैसला लिया था।
जानकारी के अनुसार नारायण का निधन घर लौटने के तीन दिन बाद हो गया।
इसके बाद उनके इस बलिदान की चारों तरफ तारीफ हुई। दावा किया गया कि भर्ती होने के बाद जब कागजी कार्रवाई चल ही रही थी कि तभी एक महिला अपने पति को लेकर हॉस्पिटल पहुंची।
महिला अपने पति के लिए बेड की तलाश में थी। महिला की पीड़ा देखकर नारायण ने डॉक्टर से कहा, मेरी उम्र 85 साल पार हो गई है।
काफी कुछ देख चुका हूं, अपना जीवन भी जी चुका हूं। बेड की आवश्यकता मुझसे अधिक इस महिला के पति को है। उस शख्स के बच्चों को अपने पिता की आवश्यकता है।
बेटी बोली-पिता ने छोड़ा था बेड
इसके बाद लेखिका शेफाली वैद्य ने दाभडकर की बेटी आसावरी का एक वीडियो ट्वीट किया जिसमें उन्होंने पहले के दावे को दोहराया है।
उन्होंने कहा कि लोगों को बेड के लिए भटकते देखकर मेरे पिता ने कहा मैं अपना जीवन जी चुका हूं, यह बेड किसी और के काम आएगा।