नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार को आदेश दिया है कि वो दिल्ली को आज 490 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की सप्लाई सुनिश्चित करें।
जस्टिस विपिन सांघी की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि अब सर से पानी ऊपर बह चुका है, अगर केंद्र सरकार दिल्ली को आज 490 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की सप्लाई नहीं करता है तो उसके खिलाफ अवमानना की कार्रवाई होगी।
मामले की अगली सुनवाई 3 मई को होगी।
सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार ने कहा कि उसके पास अब रिजर्व ऑक्सीजन नहीं बची है ताकि वह आपात स्थिति में अस्पतालों की मदद कर सके।
दिल्ली सरकार ने कहा कि बत्रा अस्पताल में आठ लोगों की मौत इसलिए हुई, क्योंकि वहां एक घंटे तक ऑक्सीजन की सप्लाई नहीं हुई।
कोर्ट ने कहा कि अगर दिल्ली को 490 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की सप्लाई नहीं की गई तो केंद्र के अधिकारी को कोर्ट में आकर जवाब देना होगा।
कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा कि आप किसी भी तरह दिल्ली को 490 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की सप्लाई करें।
कोर्ट ने कहा कि दिल्ली एक औद्योगिक राज्य नहीं है और उसके पास क्रायोजेनिक टैंकर भी नहीं है ताकि वह ऑक्सीजन की सप्लाई कर सके। कोर्ट ने कहा कि क्रायोजेनिक टैंकर की जिम्मेदारी केंद्र की है।
कोर्ट ने कहा कि दिल्ली को पिछले 20 अप्रैल को ही ऑक्सीजन का आवंटन हो रखा है लेकिन एक दिन भी आवंटित कोटे का ऑक्सीजन दिल्ली को नहीं मिला।
सुनवाई के दौरान जब केंद्र सरकार की ओर से एएसजी चेतन शर्मा ने हस्तक्षेप करने की कोशिश की तो कोर्ट ने कहा कि अब बहुत हो चुका, पानी सर से ऊपर बह चुका है।
हम काम चाहते हैं, आपने आवंटन किया है, आप सप्लाई कीजिए।
कोर्ट ने कहा कि दिल्ली में लोगों को मरते हुए देखकर हम आंखें नहीं मूंद सकते हैं। एनफ इज एनफ।
कोई आपसे आवंटन से ज्यादा नहीं मांग रहा है। आप कह रहे हैं कि ये मत कीजिए, वो मत कीजिए, इसकी अनुमति नहीं दी जा सकती है। हम दलीलें रखने का नया तरीका देख रहे हैं।
कोर्ट ने दिल्ली के सभी अस्पतालों से उनके यहां दाखिल होनेवाले मरीजों और डिस्चार्ज होने वाले मरीजों का डाटा दाखिल करने का निर्देश दिया है।
कोर्ट ने कहा कि ये डाटा पिछले 1 अप्रैल से दाखिल करें।
कोर्ट ने सभी अस्पतालों को निर्देश दिया कि वे उन मरीजों का डाटा दें जो दस दिनों से ज्यादा दिनों तक अस्पताल में भर्ती रहे।