रांची: झारखंड हाईकोर्ट ने रांची के सदर अस्पताल में अब तक ऑक्सीजन बेड की सुविधा उपलब्ध नहीं होने पर कड़ी नाराज़गी जताई है।
कोर्ट ने विजेता कंस्ट्रक्शन को दो दिनों के अंदर बचे हुए कार्य को पूरा कर इससे अदालत को अवगत कराने का निर्देश दिया है।
हाईकोर्ट ने विजेता कंस्ट्रक्शन को ऑक्सीजन सप्लाई करने वाले उपकरण पांच मई तक उपलब्ध करा कर कोर्ट को सूचित करने का सख्त निर्देश दिया है।
अदालत ने मौखिक टिप्पणी करते हुए कहा की कोरोना के बढ़ते संक्रमण के दौर में कंपनी का बर्ताव संजीदगी दिखाने वाला नहीं है।
इस आदेश की अवहेलना हुई तो अदालत कड़े कदम उठाएगा। इस मामले की अगली सुनवाई पांच मई को होगी।
सरकार की तरफ से गवर्मेंट एडवोकेट अशोक कुमार कोर्ट के समक्ष उपस्थित हुए।
प्रार्थी ज्योति शर्मा की ओर से दायर अवमानना याचिका पर सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस डॉ रवि रंजन व जस्टिस एसएन प्रसाद की खंडपीठ ने कहा कि कोरोना संक्रमण की शुरुआत में ही अदालत ने राज्य सरकार से पूछा था कि क्या उनके पास पर्याप्त बेड, पैरामेडिकल स्टॉफ, डॉक्टर सहित अन्य सुविधाएं उपलब्ध हैं।
अदालत ने कहा कि मुकर जाने के सौ बहाने होते हैं। अधिकारी काम नहीं करना चाहते हैं।
उल्लेखनीय है कि झारखंड हाईकोर्ट ने रांची के सदर अस्पताल में 300 बेड चालू नहीं किए जाने पर कड़ी नाराजगी जताई थी।
अदालत ने पिछली सुनवाइयों के दौरान कहा था कि यह बहुत ही गंभीर मामला है, लेकिन सरकार इसे गंभीरता से नहीं ले रही है।
अधिकारियों की कार्यप्रणाली पर टिप्पणी करते हुए अदालत ने कहा कि अधिकारियों की लापरवाही के चलते कोरोना काल में यहां के लोग 300 बेड से वंचित रहे।
अधिकारियों को झारखंड के गरीब लोगों के जीवन से खेलने की इजाजत कोर्ट नहीं दे सकता है।