रामगढ़: आफिसर कॉलोनी गिद्दी में दामोदर नदी श्मशान घाट पर कोरोना से मौत हो रहे लोगों की शव को जलाने के लिए भीड़ लग रही है।
श्मशान घाट में शव जलाने की उचित व्यवस्था नहीं होने व कोरोना से मौत होने के बाद आनन-फानन में लोग शव को जैसे-तैसे जलाकर चले जा रहे है। शव श्मशान घाट में अधजला ही रह जा है।
जो जानवरों का निवाला बन रहा है। यहां ऐसा ही एक नजारा आफिसर कॉलोनी में देखने को मिली।
सोमवार को कोरोना से मौत हुए शव को अधजला छोड़ देने के कारण जानवार अधजले शव को लेकर कालोनी में लेते आया था। जानवर कालोनी में शव को लाकर अपना निवाला बना रहा था।
कालोनी वासी जानवर को कोरोना से मौत हुए व्यक्ति के शव के अधजले हिस्से को कॉलोनी में लाकर खाने से काफी डरे हुए है।
कालोनी वासियों में इससे क्षेत्र में संक्रमण के बढ़ने का डर सता रहा है।
कॉलोनी वासियों ने बताया कि कोरोना के दूसरे वेव में लोगों की मौत ज्यादा होने के कारण गिद्दी कोयलांचल समेत आसपास के ग्रामीण क्षेत्र व भुरकुंडा क्षेत्र से शव जलाने वालों की भी भीड़ लग रही है।
एक दिन में अधिकतम सात दिनों तक श्मशान घाट में शव जलाए जा रहे है।
गिद्दी श्मशान घाट में पूर्व में शव को जलाने के लिए एक-दो लोग सहयोग करने के लिए रहते थे और शव को अच्छी तरह से जलाने में सहयोग करते थे।
इन दिनों से कोरोना से मौत होने के कारण श्मशान घाट में शव जलाने के लिए कोई नहीं रहता है।
इस कारण शव लेकर आने वाले को स्वयं शव को जलाने का काम करना पड़ रहा है।
इससे कई लोग आनन-फानन में शव को जैसे-तैसे जला कर चले जा रहे हैं।
गिद्दी श्मशान घाट में ज्यादा भीड़ नहीं होने के कारण दूर दराज के लोग भी कोरोना के कारण मौत हुए लोगों को शव आकर जला जा रहे हैं।
साथ ही उनके द्वारा श्मशान घाट में अधजला शव छोड़ जाने के बाद जानवर शव को अपना निवाला बना रहे है।
लोगों ने श्मशान घाट में शव को उनकी देख-रेख जलाने की व्यवस्था कराने की मांग की।