लंदन: कोरोना को महामारी घोषित करने के लगभग एक साल बाद विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) ने आखिर मान लिया है कि कोरोना का वायरस हवा से भी फैल सकता है।
डब्लूएचओ के अनुसार वायरस खराब वेंटिलेशन या भीड़ वाली बंद जगहों में भी फैल सकता है, जहां लोग लंबे समय तक रहते हैं, क्योंकि एयरोसोल हवा में एक मीटर से भी ज्यादा दूर तक जा सकते हैं।
दरअसल, डब्लूएचओ ने कोरोना से जुड़े सवालों के जवाब अपडेट किए हैं।
इनमें इस सवाल का जवाब भी शामिल है कि लोगों के बीच कोरोना कैसे फैलता है? माना जा रहा है कि इसके बाद कोरोना से बचने की नई गाइडलाइंस सामने आ सकती हैं।
संगठन अब तक कहता आया था कि इस बात के पर्याप्त सबूत नहीं हैं कि कोरोना हवा से भी फैलता है।
जुलाई 2020 में नकार दी थी थ्योरी
कोरोना फैलने के शुरुआती महीनों में तो डब्लूएचओ ने सभी को मास्क पहनने के बजाय केवल संक्रमितों को मास्क पहनने की सलाह दी थी।
जुलाई 2020 में स्वतंत्र हेल्थ एक्सपट्र्स ने कहा था कि कोरोना वायरस हवा से भी फैलता है।
उन्होंने डब्लूएचओ से कोरोना को हवा से फैलने वाली महामारी घोषित करने को कहा था।
तब डब्लूएचओ की ओर से यह तो कहा गया कि कोरोना वायरस हवा से फैलता है, इस संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता, मगर जल्द ही संगठन ने कहा कि इस बात का कोई सबूत नहीं।
जुलाई 2020 की गाइडलाइन में डब्लूएचओ इस बात पर कायम रहा कि कोरोना किसी संक्रमित से संपर्क में आने, उसके मुंह या नाक से निकलने वाले ड्रॉपलेट्स यानी वायरस युक्त बूंदों और फोमिटीज यानी कपड़े, बर्तन, फर्नीचर आदि पर मौजूद वायरस से फैलता है।