बेगूसराय: कोरोना हर किसी को अपने आगोश में लेता जा रहा है, लोग संक्रमित होकर मरते जा रहे हैं। लेकिन शासन-प्रशासन के तमाम दावों के बावजूद मरीजों का समुचित इलाज नहीं हो रहा है।
बेगूसराय के कुछ निजी अस्पतालों में ना केवल संक्रमितों के इलाज में लूट मचाई जा रही है।
बल्कि, संक्रमण के नाम पर भयादोहन भी किया जाता है, शव को बंधक बनाया जा रहा है। अन्य बीमारियों से ग्रसित लोगों का भी अस्पतालों द्वारा इलाज नहीं किया जा रहा है। जिसके कारण लोग असमय काल कलवित हो रहे हैं।
सोमवार की सुबह बेगूसराय जिला मुख्यालय में हर-हर महादेव चौक के समीप संचालित एक नामी अस्पताल में समुचित इलाज के अभाव में कोरोना संक्रमित डंडारी प्रखंड भाजपा के मंडल उपाध्यक्ष अनिल राय की मौत हो गई।
मौत के बाद भी उक्त अस्पताल प्रबंधन ने 30 हजार के लिए शव को बंधक बना लिया।
शव बंधक बनाए रखने की जानकारी मिलते ही सांसद प्रतिनिधि अमरेंद्र कुमार अमर ने इसकी सूचना डीएम को दी, इसके बाद डीएम के पहल पर शव परिजनों को सौंपा गया।
परिजनों ने बताया कि कोरोना संक्रमण के कारण हालत गंभीर होने पर उन्हें भर्ती कराया गया था।
यहां डॉक्टर ने वेंटिलटर सपोर्ट के नाम पर 40 हजार रुपया जमा करवा कर भी वेंटिलेटर सपोर्ट नहीं दिया गया।
सुबह में जब उनका निधन हो गया तो अस्पताल वाले वालों ने पूरी रात का चार्ज 70 हजार मांगा और 30 हजार रुपया जमा करने के बाद ही शव ले जाने की बात कही।
परिजनों के लाख गुहार पर भी अस्पताल वाले नहीं माने तो इसकी सूचना सांसद प्रतिनिधि अमरेंद्र कुमार अमर को दी गई। उन्होंने मौके पर पहुंचकर डीएम से पहल करवा कर शव को परिजनों के हवाले करवाया।
दो दिन पूर्व खगड़िया निवासी अस्थमा पीड़ित अनंत प्रसाद सिन्हा की बेगूसराय में उचित इलाज नहीं मिलने के कारण मौत हो गई।
अनंत प्रसाद सिन्हा के परिजन दो दिन पूर्व अस्थमा की स्थिति में गड़बड़ी आ जाने के कारण उन्हें लेकर बेगूसराय आए यहां दो डॉक्टरों ने इलाज करने से हाथ खड़े कर दिए।
जबकि एक बड़े हॉस्पिटल समूह ने यहां कोरोना जांच करानेे तथा छह घंटा के बाद रिपोर्ट आने पर इलाज शुरू करने की बात कही।
इस दौरान परिजन अस्पताल प्रबंधन से मरीज के पूर्व के बीमारी की स्थिति को देखते हुए इलाज शुरू करने की गुहार लगातेे रहे, लेकिन अस्पताल प्रबंधन ने भर्ती करना तो दूर एंबुलेंस पर जाकर देखना उचित नहींं समझा।
जबकि इनकेेे पास कोरोना का जांच रिपोर्ट पहले से मौजूद था।
एंबुलेंस के सिलेंडर में ऑक्सीजन गैस कम हो रहा था, जिसके कारण मामले की गंभीरता को देख परिजन उन्हें वापस खगड़िया सदर अस्पताल ले गए, जहां कि कुछ ही देर बाद उनकी मौत हो गई।
इलाज में लूट के बढ़ते मामलों को लेकर जन पहल के संयोजक विकास वर्मा ने कहा है कि बेगूसराय के इस बदनाम प्राइवेट अस्पताल ने अनिल राय को वेंटिलेटर सपोर्ट होने के नाम पर भर्ती कर मोटी रकम भी ऐंठ लिया और वेंटिलेटर सपोर्ट भी नहीं दिया।
इतना ही नहीं मौत के बाद और रूपयों की वसूली के लिए उस अस्पताल ने स्व. राय के शव को बंधक बना लिया।
इलाज की अच्छी व्यवस्था के उम्मीद में बेगूसराय के प्राइवेट अस्पतालों की ओर आंख मूंदकर रूख नहीं करें।
वहां कोरोना इलाज के नाम पर भयंकर ठगी और शोषण चल रहा है और इस शोषण से भी इस समय आपको कोई बचाने वाला नहीं है।
गंभीर हालत में भी कोशिश करें कि सरकारी अस्पताल के आईसीयू में बेड मिले, वहां लूट-खसोट से बचा जा सकता है।
अंतिम समय में जान बचाने के लिए उन्होंने रविवार शाम तक नेताओं से भी वेंटिलेटर सपोर्ट दिलाने की गुहार लगाई, लेकिन गुहार काम नहीं आई। किसी ने इस युवा और तेजतर्रार को बचाने की कोशिश नहीं की।
यह समय राजनीति करने का नहीं है और ना ही किसी दल या नेता को उनकी मौत के लिए जिम्मेदार ठहराने का है। लेकिन इलाज के आभाव में कोरोना से पीड़ित भाजपा के मंडल उपाध्यक्ष एवं पूर्व प्रमुख अनिल राय का निधन कई संदेश दे गया है।
इस महामारी के समय अपनी जान की सुरक्षा स्वयं करें। कोरोना संक्रमण से बचने का हर संभव प्रयास करें, संक्रमित हो जाने और गंभीर संकट के समय कोई पार्टी, नेता, मंत्री काम नहीं आने वाला है।