मियामी: चिकित्सकों ने अपने अध्ययन में पाया है कि कोरोना की गिरफ्त में फंसने वाले अधिकांश लोग महीनों बाद तक इसकी पकड़ से बाहर नहीं निकल पाते।
रिकवरी के बाद भी कोरोना वायरस उनके जननांगों में घर बना ले रहा है, जिसकी वजह से पुरुषों में इरेक्टाइल डिस्फंक्शन (स्तंभन दोष) की समस्या पैदा हो गई है।
अध्ययन में सामने आया है कि कोरोना का संक्रमण पुरुषों के लिंग में मौजूद उत्तेजना पैदा करने वाली कोशिकाओं को प्रभावित कर देता है।
इसका असर पुरुषों की यौन क्षमता पर पड़ता है।
मियामी यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने दो पुरुष कोरोना मरीजों के लिंग का स्कैन किया।
यह स्कैनिंग इन पुरुषों की रिकवरी के 6 महीने बाद की गई।
जांच में पता चला कि उनके जननांगों के अंदर मौजूद इरेक्टाइल सेल्स के अंदर कोरोना वायरस घर बनाकर बैठ गया है।
जिसकी वजह से इन पुरुषों को स्तंभन दोष की दिक्कत आ रही है।
इसमें से एक पुरुष गंभीर रूप से कोरोना संक्रमित था।
वह अस्पताल में भर्ती था। वहां से रिकवर हुआ, जबकि दूसरे को माइल्ड स्तर का संक्रमण था।
लेकिन दोनों की ही यौन क्षमता प्रभावित हुई।
इस अध्ययन से अलग अन्य विशेषज्ञ का कहना है कि यह पहली बार है कि कोरोना वायरस पुरुषों के जननांग पर कब्जा कर ले रहा है।
यह एक खतरनाक लक्षण है।
यह एक ज्ञात तथ्य है कि कोरोना वायरस खून की नलियों को नुकसान पहुंचा रहा है।
इसके साथ ही वह शरीर के अंदर मौजूद अंगों को भी प्रभावित कर रहा है।
अगर इसने पुरुषों के लिंग में खून का बहाव रोक दिया तो वे यौन संबंध कायम करने में असफल रहेंगे।
यह अध्ययन करने वाले वैज्ञानिक डॉ जीत रामासामी ने बताया कि जिन पुरुषों के पहले यह दिक्कत नहीं थी, वह कोरोना संक्रमित होने के बाद इरेक्टाइल डिस्फंक्शन की समस्या से जूझ रहे हैं।
डॉ रंजीत रामासामी ने दोनों पुरुषों के लिंग की स्कैनिंग बहुत गहराई तक जाकर की।
उनके कोशिकाओं की तस्वीरें 100 नैनोमीटर्स के स्तर पर की गई।
इसमें ऊतकों के बीच कोरोना वायरस दिखाई दिया। इसके अलावा इनका पीसीआर टेस्ट भी कराया गया।
रिकवरी के बाद भी वो कोरोना पॉजिटिव निकले। डॉ रंजीत और उनकी टीम ने कहा कि इस वायरस से बचाव के दो ही तरीके हैं।
पहला वैक्सीन और दूसरा प्रोटोकॉल फॉलो करें। इससे दो महीने पहले रोम यूनिवर्सिटी में भी ऐसा ही अध्ययन किया गया था।
रोम यूनिवर्सिटी के डॉक्टरों ने 100 पुरुषों की फर्टिलिटी की जांच की।
इनमें से 28 फीसदी पुरुषों को इरेक्टाइल डिसफंक्शन की समस्या देखने में आई।
जबकि सामान्य स्तर पर 9 फीसदी लोगों में समस्या आई है, यानी इन्हें कोरोनावायरस का संक्रमण नहीं था।
रोम यूनिवर्सिटी के डॉक्टरों ने 100 लोगों से बातचीत की। इनकी औसत उम्र 33 साल थी।
इनमें से 28 पुरुषों को स्तंभन दोष यानी इरेक्टाइल डिसफंक्शन की दिक्कत आ रही थी।
जबकि जिन्हें कोरोना नहीं हुआ, उनमें से 9 फीसदी लोगों को ही ये समस्या थी।
यानी सामान्य पुरुषों की तुलना में कोरोना संक्रमित पुरुषों में इरेक्टाइल डिसफक्ंशन की तीन गुना ज्यादा हो जाती है।
ये स्टडी एंड्रोलॉजी जर्नल में प्रकाशित हुई है।
शोधकर्ताओं का कहना है कि कोरोनावायरस एंडोथेलियम में सूजन पैदा कर देता है।
यह इंसान की खून की नसों के अंदर की परत होती है। यह पूरे शरीर में होती है।
जो नसें पुरुष जननांगों में खून की सप्लाई करती हैं, वो बेहद छोटी और पतली होती हैं।
ऐसे में अगर किसी तरह की सूजन होती है तो खून की सप्लाई बाधित होती है। इससे उनका यौन व्यवहार प्रभावित होता है।
नए अध्ययन से यह बात प्रमाणित हो चुकी है कि कोरोना संक्रमण का सबसे बुरा असर महिलाओं की तुलना में पुरुषों पर ज्यादा पड़ा है।
कोरोना से महिलाओं की तुलना में 1.7 गुना ज्यादा पुरुषों की मौतें हो रही हैं।
हालांकि, कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि स्तंभन दोष और कोरोना का संबंध यौन इच्छाओं को जागृत करने वाले एस्ट्रोजेन और टेस्टोस्टेरॉन हॉर्मोन्स के स्तर पर भी निर्भर करता है।
ब्रिटेन में कोरोना महामारी से अलग आमतौर पर महिलाएं पुरुषों की तुलना में 3.7 साल ज्यादा जीती हैं।
इसके पीछे वजह है एस्ट्रोजेन हॉर्मोन जिसकी वजह से उनका एम्यून सिस्टम मजबूत रहता है। उन्हें दिल संबंधी बीमारियों से बचाकर रखता है।
अगर टेस्टोस्टेरॉन हॉर्मोन्स की मात्रा बढ़ जाती है तो भी कार्डियोवस्कुलर सिस्टम में कई तरह की बीमारियों के होने की आशंका बढ़ जाती है।
कोरोना संक्रमण के बाद इस चीज का खतरा बहुत ज्यादा बढ़ जाता है।
हाल ही में किए गए एक अध्ययन के बाद न्यूयॉर्क स्थित इकान स्कूल ऑफ मेडिसिन की प्रोफेसर शान्ना स्वान ने कहा था कि कुछ खास तरह के रसायनों की वजह से पुरुष अपने पिता बनने की क्षमता को खो रहे हैं।