रांची: कोरोना वायरस के मामलों को देखते हुए सरकार 16 मई से 27 मई तक कड़ाई के साथ लॉकडाउन लागू करने जा रही है।
इसके साथ ही अब पारा शिक्षक भी सरकार से अपनी मांगों को लेकर आर-पार करने के मूड में हैं।
पारा शिक्षकों की अलग-अलग जगहों पर सरकारी कर्मचारियों के साथ ही सरकारी शिक्षकों और पारा शिक्षकों को भी कोरोना ड्यूटी में लगाया जाएगा।
इसकाे देखते हुए पारा शिक्षकों ने सरकार के समक्ष मांग रखी है।
पारा शिक्षक संघ का कहना है कि कोराेना जैसी महामारी में जिले के पारा शिक्षकों को विभिन्न अस्पतालों/ विभिन्न स्थानों पर मजिस्ट्रेट के रूप में प्रतिनियुक्ति किया जा रहा है।
ऐसी परिस्थिति में पारा शिक्षकों के जान-माल को नुकसान होने की ज्यादा संभावना है और इससे इनकार भी नहीं किया जा सकता है।
पारा शिक्षक अल्प मानदेय भोगी हैं। पारा शिक्षकाें काे मजिस्ट्रेट के रूप में प्रतिनियुक्त किया जा रहा है, लेकिन उसके बदले किसी भी तरह का अतिरिक्त मानदेय/भत्ता का भुगतान नहीं किया जा रहा है और न ही सरकारी सेवकों के समान कोई सुविधा दी जा रही है।
यहां तक कि केंद्र की और से घोषित 50 लाख का बीमा कवर भी नहीं किया जा रहा है।
ऐसे में हमारे राज्य के पारा शिक्षक अपने भविष्य को लेकर काफी भयभीत हैं।
अगर ड्यूटी में तैनात पारा शिक्षकों को संक्रमण हो जाता है तो वे अपना इलाज तक करा पाने में असक्षम हैं।
इससे कभी भी किसी के साथ अनहोनी होने की संभावना प्रबल दिख रही है और पारा शिक्षकों का भविष्य अंधकार में हो जाएगा।
इसलिए सरकार से हम मांग करते हैं कि झारखंड के पारा शिक्षकों का कोविड-19 ड्यूटी में लगाए जाने के पूर्व उनका 50 लाख का बीमा कवर करवाया जाए।
कार्य में लगे पारा शिक्षकों को अतिरिक्त मानदेय भुगतान हाे। साथ ही 2019 में जुलाई, अगस्त सितंबर में बायोमैट्रिक की वजह से बकाया मानदेय का भुगतान करें।
साथ ही कोविड में लगाए गए पारा शिक्षकों को मास्क, सैनेटाइजर अन्य किट उपलब्ध कराया जाए।
संघ ने कहा कि ऐसा नहीं होने पर राज्य के तमाम पारा शिक्षक संगठित होंगे और बाध्य होकर कार्य का बहिष्कार करने के लिए विवश हो जाएंगे।