नई दिल्ली: नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा पारित नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का आंदोलन सोमवार को पांचवें दिन में प्रवेश कर गया।
हालांकि, विरोध प्रदर्शन के बीच गुरु नानक जयंती के मौके पर आस्था के रंग भी देखने को मिले और प्रदर्शन स्थल पर गुरबानी और शबद की गूंज सुनने को मिली।
ट्रैक्टर ट्रॉलियों से भरे सिंघु सीमा विरोध स्थल गुरुओं (गुरबानी) के शब्दों से गूंजता रहा क्योंकि सभा को संबोधित कर रहे किसानों ने उन्हें अपने भाषणों में इसे शामिल कर लिया।
सोमवार सुबह सूरज उगने के साथ ही प्रदर्शनकारियों द्वारा कृषि कानूनों के खिलाफ फिर से नारेबाजी शुरू हो गई।
वहीं दूसरी तरफ, सुरक्षा बल की तैनाती भी सीमा पर बढ़ गई ताकि जारी विरोध प्रदर्शन के बीच शांति और सद्भाव को बरकरार रखा जाए।
किसानों ने रविवार को केंद्र द्वारा दिल्ली के बुराड़ी मैदान में विरोध करने और सीमाओं पर नाकेबंदी हटाने के प्रस्ताव को खारिज कर दिया था। किसानों ने कहा कि बातचीत का प्रस्ताव सशर्त है और वे बुराड़ी नहीं जाएंगे।
किसानों को निर्देश दिया गया था कि वे अपने नेताओं के अगले निर्देश तक जहां हैं वहीं रहें।
भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने कहा कि उन्होंने भी गाजीपुर में रहने का फैसला किया है।
उन्होंने कहा, हम इस स्थल को नहीं छोड़ेंगे। हम बुराड़ी नहीं जाएंगे। केंद्र को आगे आना चाहिए और किसानों की बात सुननी चाहिए।