रांची: कोरोना महामारी न जाने कैसे-कैसे दिन दिखा रही है। आलम ये है कि मां की ममता पर भी कोरोना की मार भारी पड़ने लगी है।
जी हां, रांची के रिम्स में एक ऐसा ही दिल दहला देने वाला मामला सामने आया है, जहां दो साल के मासूम बेटे को बुखार होने पर उसके माता-पिता ने इलाज कराने को रिम्स में भर्ती तो कराया, लेकिन जब वह कोरोना पॉजिटिव पाया गया और डॉक्टरों के प्रयास के बावजूद जिंदगी की जंग हार गया तो अपने जिगर के टुकड़े का शव छोड़कर मां-बाप रिम्स से ऐसे भागे कि कॉल कर बुलाने पर भी रांग नंबर बताकर फोन काट दिया।
अंतत: रिम्स द्वारा उस अबोध बालक के शव का अंतिम संस्कार घाघरा घाट पर करवाया गया।
ट्रालीमैन रोहित बेदिया ने निभाया इंसानियत का फर्ज
दो साल का मासूम अपनी मौत से पहले ही रिश्तों की जंग हार चुका था। पत्थर दिल मां-बाप इस अभागी संतान को रिम्स में डॉक्टरों के जिम्मे छोड़कर ऐसे भागे कि फिर लौट के नहीं आए।
बिट्टू की अंतिम विदाई अनाथ की तरह नहीं हुई। उसके अंतिम संस्कार का सारा फर्ज रिम्स के ट्रॉलीमैन रोहित बेदिया ने निभाया।
अबोध बच्चे को जरा भी आभास नहीं रहा होगा कि उसे जन्म देने वाले माता-पिता ही उसे विपरीत परिस्थितियों में छोड़ जाएंगे। अंतिम संस्कार ऐसा व्यक्ति करेगा जिसे उसने जीते जी देखा ही नहीं।
क्या है मामला
जानकारी के अनुसार, दो वर्षीय बिट्टू कुमार को उसके माता-पिता ने 11 मई को रिम्स में भर्ती कराया था।
रिम्स में पंजीयन के आधार पर बच्चे के पिता का नाम सिकंदर यादव है। उसका पता जमुई, बिहार लिखा हुआ है।
बच्चा रिम्स के पीडियाट्रिक सर्जरी विभाग में भर्ती था। उसका इलाज कर रहे डॉ अभिषेक रंजन ने बताया कि इसके परिवार वालों ने यह कहकर एडमिट कराया था कि बच्चे ने छुहाड़े की गुठली खा ली है, लेकिन इलाज के दौरान ही शक हो गया।
तब माता-पिता ने कहा कि फीवर भी था। डॉक्टर ने झूठ पकड़ लिया तो परिजन चुप हो गये।
उसके बाद चेस्ट एक्सरे में पूरा इन्फेक्शन दिखा, तब जांच के लिए भेजा गया।
बाद में स्थिति बिगड़ गयी तो वेंटिलेटर पर डाल दिया गया। उसके बाद उसके माता-पिता अचानक गायब हो गये।
डॉ अभिषेक ने कहा कि उन्होंने जान बचाने के लिए इन्क्यूबेशन तक किया, लेकिन नहीं बचा पाये। बच्चे की मौत 12 मई को हो गयी।