पटना: बिहार में कोरोना वायरस के मामलों में गिरावट का दौर जारी है।
रविवार को सूबे में 6,894 नए मामले सामने आए। साथ ही मरीजों के ठीक होने की दर में भी सुधार हो रहा है।
संक्रमण दर भी कम हो रही है। हालांकि, इस दौरान ब्लैक फंगस के कई मामले सामने आए हैं। पटना में रविवार को ब्लैक फंगस के पांच नए मरीज सामने आए।
अभी तक राजधानी के अस्पतालों में कुल 30 से ज्यादा ब्लैक फंगस के मरीज इलाज करा रहे हैं।
कोरोना के बाद अब ब्लैक फंगस के बढ़ते मामलों को देखते हुए प्रदेश सरकार ने कई जरूरी कदम उठाए हैं।
इस संक्रमण में जरूरी इंजेक्शन और दवाओं की सप्लाई बढ़ा दी गई है।
कोरोना संक्रमण से ठीक हुए मरीजों में ब्लैक फंगस के केस बढ़ते नजर आ रहे हैं।
ऐसे में सरकार ने सभी सरकारी मेडिकल कॉलेजों में जल्द से जल्द एंबिसम (लिपोसोमल एम्फोटेरिसिन बी) इंजेक्शन की आपूर्ति का आदेश दिया है।
यह इंजेक्शन निजी अस्पतालों को भी फ्री में उपलब्ध कराए जाएंगे।
हालांकि, इसके लिए स्वास्थ्य विभाग की एक समिति अस्पताल में मांग संबंधी जरूरी डॉक्यूमेंट देखने के बाद इसका अप्रूवल देगी।
स्वास्थ्य विभाग में विशेष ड्यूटी अधिकारी कुमार रवि ने कहा कि सरकार की ओर से इंजेक्शन की आपूर्ति के निर्देश दिए गए हैं।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने कालाजार टीकाकरण कार्यक्रम के तहत बिहार को एंबिसम की 14,000 शीशियां रिजर्व के रूप में मुहैया कराई थीं।
मेडिकल सलाह के अनुसार, यह इंजेक्शन गंभीर फंगल इंफेक्शन के इलाज में बेहद प्रभावी है।
रवि ने कहा कि प्रदेश के सभी डीएम और मेडिकल कॉलेजों में इसे भेज दिया गया है। एम्स-पटना को एंबिसम की 2,000 शीशियां दी गई हैं।
पीएमसीएच, एनएमसीएच, आईजीआईएमएस और भागलपुर के जेएलएनएमसीएच को ब्लैक फंगस मरीजों के इलाज के लिए 300 शीशियां दी जाएंगी।
एसकेएमसीएच (मुजफ्फरपुर), डीएमसीएच (दरभंगा), केटीएमसीएच (मधेपुरा), एएनएमएमसीएच (गया), वीआईएमएस (पावापुरी) और जीएमसीएच (बेतिया) को 200-200 शीशियां मिलेंगी।
चिकित्सा विशेषज्ञों के अनुसार ब्लैक फंगस शरीर के कई हिस्सों नाक, मुंह, दांत, आंखें और मस्तिष्क को प्रभावित कर सकता है।
अगर इसका समय पर इलाज नहीं कराया गया तो यह जानलेवा साबित हो सकता है।
स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे ने कहा कि राज्य में दुर्लभ फंगल इंफेक्शन के लगभग दो दर्जन मामले सामने आए हैं और इससे पीड़ित मरीजों का इलाज एम्स-पटना, आईजीआईएमएस और अन्य निजी अस्पतालों में किया जा रहा है।
एम्स-पटना में कोविड -19 के नोडल अधिकारी, डॉ संजीव कुमार ने बताया कि इम्यूनिटी में गिरावट के चलते म्यूकोर्मिकोसिस के लक्षणों में बढ़ोतरी हो सकती है।
यह डायबिटिज के मरीजों के लिए जानलेवा साबित हो सकता है।
ब्लैक फंगस ऐसा संक्रमण है, जो लंबी बीमारी वाले या स्टेरॉयड पर रहने वाले लोगों को अपनी चपेट में लेता है।
उन्होंने बताया कि आईसीयू में ऑक्सिजन थेरेपी से गुजरने वाले कोविड मरीजों में भी इसके संक्रमण की आशंका होती है।