रांची: झारखंड में कोरोना महामारी के बीच ब्लैक फंगस का केस भी तेजी से बढ़ने लगा है।
अब राज्य के विभिन्न जिलों से मामले सामने आ रहे हैं। अब तक इससे पांच लोगों की मौत हो चुकी है।
ब्लैक फंगस से मंगलवार की रात जमशेदपुर के आदित्यपुर धीराजगंज निवासी मनोज कुमार की भी मौत हो गई।
जमशेदपुर में ब्लैक फंगस से यह पहली मौत है।
मृतक के परिजनों ने बताया कि कोरोना संक्रमित होने पर मनोज को कांतिलाल कोविड अस्पताल में भर्ती कराया गया था। ठीक होने पर वह घर आ गए लेकिन कुछ दिन बाद उनकी तबीयत फिर से खराब हो गई और उन्हें देखने में परेशानी हो रही थी।
दो दिन पूर्व उन्हें जमशेदपुर के टीएमएच में भर्ती कराया गया, जहां उनमें ब्लैक फंगस के लक्षण मिले।
साथ ही डॉक्टरों ने इलाज के लिए एम्फोटेरिसिन-बी इंजेक्शन लाने के लिए कहा।
लेकिन इंजेक्शन जमशेदपुर सहित पूरे झारखंड में नहीं मिला। इस दौरान राज्य के स्वास्थ्य मंत्री सहित अन्य से संपर्क किया गया लेकिन मदद नहीं मिली। जिस कारण मंगलवार की रात उसकी मौत हो गई।
उल्लेखनीय है कि रविवार को रांची के राज अस्पताल में ब्लैक फंगस से हिमांशु शेखर मिश्रा की मौत हो गई।
इसके पूर्व मेडिका अस्पताल में एक मरीज और रिम्स में दो मरीजों की मौत ब्लैक फंगस से हो चुकी है।
कुल मिलाकर अब तक राज्य में पांच लोगों की मौत ब्लैक फंगस से हो चुकी है।
वहीं गत शनिवार को भी रिम्स अस्पताल में ब्लैक फंगस से एक की मौत हुई थी।
उल्लेखनीय है कि राज्य में ब्लैक फंगस के अब तक लगभग दस से अधिक मरीज मिले हैं। इनमें कुछ मरीजों का इलाज मेडिका और रिम्स में चल रहा है।
इधर,कोरोना से ठीक होने वाले मरीज अब ब्लैक फंगस की बीमारी से ग्रसित हो रहे हैं।
ऐसे में उनके लिए एम्फोटेरिसिन-बी की दवा काफी महत्वपूर्ण है, लेकिन इस संकट की घड़ी में इस दवा की भी बाजार में काफी कमी देखी जा रही है।
म्युकरमाइकोसिस या ब्लैक फंगस के मरीजों के इलाज में उपयोग आने वाली एम्फोटेरिसिन-बी का इंजेक्शन बाजार से बिल्कुल खत्म हो गया है।
इसको लेकर डॉक्टरों को मरीजों के इलाज में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
कोरोना से ग्रसित होने के बाद रिम्स और कई निजी अस्पतालों में ब्लैक फंगस की बीमारी के कई मरीज भर्ती हैं।
पिछले दिनों भी एम्फोटेरिसिन-बी इंजेक्शन के नहीं मिलने से रिम्स में एक मरीज की मौत भी हो गई थी।
रिम्स की बात करें तो रिम्स के स्टोर इंचार्ज राकेश कुमार ने बुधवार को बताया कि यह दवा काफी कम मात्रा में पहले बना करती थी और इसका उपयोग नहीं के बराबर होता था।
उन्होंने बताया कि अचानक ब्लैक फंगस के मरीजों के लिए दवा की मांग बाजार में बढ़ गई है। इसीलिए दवा की उपलब्धता नहीं के बराबर है।
रिम्स के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. डीके सिन्हा ने कहा कि दवा की कमी को लेकर स्वास्थ्य विभाग को जानकारी दी गई है।
आश्वासन दिया गया है कि जल्द ही यह दवा रिम्स और अन्य अस्पतालों में उपलब्ध कराई जाएगी।
इस संबंध में राज्य के स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता ने बुधवार को कहा कि ब्लैक फंगस को लेकर राज्य के सभी जिलों के सिविल सर्जन को निर्देश दिया गया है।
उन्होंने कहा कि सभी सिविल सर्जन को निर्देश दिया गया है कि वह अपने जिले में यह देखें कि ब्लैक फंगस के कितने मरीज हैं।
साथ ही इसकी भावी कार्य योजना और इसमें क्या-क्या दवा की जरूरत है। इसकी कार्य योजना बनाएं।
उन्होंने कहा कि सभी सिविल सर्जन को यह भी निर्देश दिया गया है कि वह कार्य योजना बनाकर विभाग को भेजें ताकि उस स्तर पर तैयारी पूरी की जा सके।