मधेपुरा: आठ सौ करोड़ का मेडिकल कालेज, वर्ल्ड क्लास बिल्डिंग, लेकिन सुविधा पीएचसी वाली।
जी हां कहने के लिए मधेपुरा का जन नायक कर्पूरी ठाकुर मेडिकल कॉलेज वर्ल्ड क्लास सुविधा से लैस मेडिकल कालेज अस्पताल है।
सरकार ने इसे एक माह पूर्व 500 बेड का कोविड डेडिकेटेड अस्पताल घोषित किया लेकिन हैरानी उस आंकड़े को देखकर होगी जो बताती है कि इस संकट की घड़ी में इस वर्ल्ड क्लास अस्पताल में महज 750 कोरोना मरीज का इलाज हुआ इसमें भी 128 रेफर किये गए जबकि 186 लोग मौत के शिकार हुए हैं।
सरकार कहती है सब व्यवस्था है, अधिकारी कहते हैं कोई कमी नही है, लेकिन हालात अब ये हो गयी हैं कि मीडिया वाले को भी टारगेट किया जाने लगा है।
बुधवार को ही जब मरीजों के परिजन के शिकायत पर कुछ मीडियाकर्मी मेडिकल कालेज के कोविड वार्ड गए तो वहां की स्थिति देख दंग रह गए।
पूरे वार्ड में मरीज के परिजन अपने मरीज की सेवा में लगे थे।
यही नही ख़ुद से ऑक्सीजन भी लगा रहे थे। एक वाक्या तो मेडिकल कालेज के कर्मियों की संवेदनशीलता को भी कठघड़े में ला दिया।
अररिया से आए एक मरीज को सीटी स्कैन के लिए जाना था। उसे जो सिलेंडर दिया गया उसमें ऑक्सीजन ही नही था।
आनन फानन में परिजन उसे फिर वार्ड लाए और खुद से सेंट्रलाइज्ड ऑक्सीजन चेन से स्पलाई दिया।
इस बात कि भनक कि पत्रकार आये है जब जिला प्रशासन के अधिकारियों को चली तो करीब एक घण्टे तक उन्हें मेडिकल कालेज के एक कार्यालय में रोका गया, और तीन थाने की पुलिस के साथ डीएसपी स्तर के अधिकारी को बुलाकर डराने का प्रयास किया गया।
लेकिन तबतक मेडिकल कालेज की बदहाली कैमरे में कैद हो चुकी थी।
इसे 500 बेड का अस्पताल तो बना दिया गया लेकिन सुविधा 100 वेड के लायक भी नही है।
लिहाजा पोस्ट कोविड मरीज जिन्हें सांस की तकलीफ है, जिनका ऑक्सीजन लेवल लगातार गिर रहा है वे यहाँ लगातार पहुंच रहे हैं लेकिन उन्हें भर्ती लेने के बजाय भागने का काम किया जाता है।
ऑक्सीजन की कमी का हवाला देकर उन्हें भगाने का काम किया जाता है। मेडिकल कालेज की व्यवस्था पर सिर्फ हम सवाल नही उठा रहे हैं।
अररिया के सिविल सर्जन ने बजप्ता पत्र लिख कर स्वास्थ्य विभाग के अधिकारीयों को यहां की लापरवाही से अवगत कराया।
अररिया सीएस का पत्र कर रहा है जिसमें लिखा गया है कि सरकार के निदेशानुसार कोविड-19 से ग्रसित गंभीर रोगीयों को बेहतर इलाज के लिए जब आपके संस्थान में भेजा जाता है तो बेड खाली नही होने से संबंधित सूचना दे कर उक्त गंभीर रोगी को भर्ती करने से इनकार कर दिया जाता हैं।
साथ ही उस मरीज को जेनरल वार्ड में रखने हेतु निदेश दिया जाता हैं।
पत्र में यह भी कहा गया है कि कोविड मरीज के परिजनों के अनुसार आपके संस्थान के कर्मियों के द्वारा टालमटोल की नीति अपनाई जाती हैं।
इस वजह से कोविड पीड़ित गंभीर मरीजों की स्थिति काफी बिगड़ जाती हैं. जिससे उनकी मृत्यु होने की संभावना काफी बढ़ जाती हैं।
लेकिन मेडिकल कालेज के प्राचार्य दावा करते हैं सब व्यवस्था दुरुस्त है। अधीक्षक बैद्यनाथ ठाकुर भी कहते है यहां लोगों को अच्छी सुविधा दी जा रही है।
बहरहाल सरकार और उसकी सिस्टम आत्म मुग्ध हो कर हर व्यवस्था को दुरुस्त बताए लेकिन हकीकत यही है काश व्यवस्था दुरुत्त होती तो कई जाने बचाई जा सकती थी।