देवघर: आज से आरम्भ हुए रोहिणी नक्षत्र में भी जिले के किसानों को अनुदानित दर पर धान के बीज नहीं मिल पाएगा।
तकनीकी अड़चनों के फंदे में कसे किसानों के लिए हालांकि झारखण्ड सरकार ने 3000 क्विंटल धान के बीज उपलब्ध करा दिए हैं किंतु 50 फीसदी अनुदानित बीज के उठाव के लिए जो ड्राफ्ट लगाया जाना है वह अब तक लगा नहीं है। नतीजन धान के बीजों का उठाव नहीं हो सका है।
उल्लेखनीय है कि 50 फीसदी अनुदानित दर पर नेशनल सीड कॉरपोरेशन के नाम ड्राफ्ट दिया जाना था किंतु इस दिशा में अग्रतर कार्रवाई ना होने से किसानों के चेहरे पर मायूसी छाई है।
जिले के विभिन्न पैक्सों के माध्यम से वितरित होने वाले धान बीज रोहिणी नक्षत्र के आरम्भ में मिल जाता तो धान के अच्छी फसल की उम्मीद की जा सकती थी क्योंकि जिस तरह से रोहिणी नक्षत्र के आरम्भ होने के साथ ही बंगाल की खाड़ी में उठे “यास” तूफान के कारण झारखंड के सभी जिलों की ही तरह देवघर में अच्छी-खासी बारिश की संभावना बनी है।
रोहिणी नक्षत्र के शुरू में ही बारिश होना खरीफ फसल के दृष्टिकोण से अत्यंत लाभप्रद होता है।
सिंचाई के समुचित साधन न होने के कारण देवघर जिले के किसान मानसून आधारित खेती पर ही निर्भर हैं।
ऐसे में मौसम की अनुकूलता के बाद भी अगर अनुदानित दर पर बीज उपलब्ध ना हुआ तो इनका फसल चक्र ही नहीं प्रभावित होगा बल्कि उपज भी बुरी तरह प्रभावित होगा।
धान उत्पादक किसान अरुण कापड़ी बताते हैं कि रोहिणी नक्षत्र में अगर खेतों में धान के बीजों को डाला जाता है तो इनसे निकले बिचड़ों में कीड़ों का प्रकोप कम ही होता है, जिस कारण कीटनाशक का प्रयोग न्यूनतम करना होता है और फसल भी भरपूर होता है।
वर्तमान में नेशनल सीड कॉर्पोरेशन द्वारा उपलब्ध कराए जाने वाले धान की परिपक्वता अवधि 155 दिन कही जा रही है। ऐसे में यदि स-समय धान का बीज किसानों तक उपलब्ध हुआ तो देवघर जिले के किसानों के लिए बड़ी बात होगी ।
जिले के मोहनपुर प्रखण्ड के बीटीएम आशीष दुबे ने इस बाबत बताया कि वर्तमान में जिले भर का लक्ष्य 3000 क्विंटल धान के बीज के विरुद्ध मात्र 150 क्विंटल बीज रोहिणी ग्रेन बैंक में आया है।
कोई भी किसान 17 रुपये 75 पैसे की दर से वहां से बीजों का उठाव कर सकता है। उन्होंने बताया कि प्रखण्ड में कुल 28 पैक्स हैं, जिसका नोडल पैक्स सरासनी में है।
वर्तमान में किसी भी पैक्स द्वारा नेशनल सीड कॉर्पोरेशन के नाम ड्राफ्ट जमा नहीं किया है, जिस कारण अधिशेष बीजों का उठाव नहीं हो पाया है।
उन्होंने बताया कि उनके स्तर पर सभी पैक्स को सूचित कर दिया गया है और पैक्सों ने दो-तीन दिनों के अंदर ड्राफ्ट जमा करने का आश्वासन दिया है।
यहाँँ यह भी बताना उपयुक्त होगा कि देवघर जिले में कुल सिंचित क्षेत्रफल नगण्य है, जिस कारण मौसम के प्रतिकूल होने से इनका फसल ही नष्ट हो जाता है और फसल बीमा जैसे लाभ कतिपय बिचौलिया या अपेक्षाकृत ब्लाकों में सक्रिय रहने वाले कुछ किसान ही ले पाते हैं, जबकि अधिकांश किसान ब्लाकों के चक्कर लगाने के बजाय चुपचाप अपनी किस्मत का लिखा मानकर आँसुओं के साथ अपनी व्यथा बहा जाते हैं।
देवघर में अजय जलाशय एवं पुनासी जलाशय जैसी दो सिंचाई परियोजना भी हैं, जिसमें पुनासी का अभी मुख्य नहर का भी काम बाकी है और अजय जलाशय का पूर्ण उपयोग नहीं हो पा रहा इसके चलते छोटे स्तर पर ही सही इससे मिलने वाला लाभ भी किसानों को नहीं मिल पा रहा है।
उल्लेखनीय है कि कोरोना जैसी वैश्विक महामारी में प्रवासी श्रमिकों का बहुत बड़ा वर्ग वापस अपने गाँवों की ओर लौटा है।
उद्योग-रोजगार ना होने के कारण ऐसे बहुसंख्य प्रवासी श्रमिक भी खेती पर ही निर्भर होंगे और यदि सरकार खेती के उन्नयन की दिशा में गम्भीर प्रयास नहीं करती तो निकट भविष्य में भूखे-बेरोजगारों की बड़ी फौज तैयार हो सकती है।