- ‘एंटीबॉडी कॉकटेल’ दवा से 70 प्रतिशत तक हॉस्पिटलाइजेशन बच जाते हैं: डॉक्टर त्रेहान
नई दिल्ली: स्विट्जरलैंड की दवा कंपनी रोशे और सिप्ला ने ‘एंटीबॉडी कॉकटेल’ दवा को लॉन्च कर दिया है।
‘एंटीबॉडी कॉकटेल’ बारे में बात करते हुए मेदांता अस्पताल के फाउंडर डॉक्टर नरेश त्रेहान ने बताया कि ‘एंटीबॉडी कॉकटेल’ दवा लेने वाले 70 प्रतिशत लोगों को अस्पताल नहीं जाना पड़ता।
इसको कुछ मामलों में बच्चों को भी दिया जा सकता है। भारत में ‘एंटीबॉडी कॉकटेल’ के वितरण का काम सिप्ला करेगी। ‘एंटीबॉडी कॉकटेल’ अभी देश में चुनिंदा जगहों मेदांता अस्पताल जैसी जगहों पर ही मिल सकेगी।
‘एंटीबॉडी कॉकटेल’ दरअसल दो दवाओं का मिक्सचर है, ये दो दवाएं हैं- कासिरिविमाब और इम्देवीमाब।
इन दोनों दवाओं के 600-600 एमजी मिलाने पर ‘एंटीबॉडी कॉकटेल’ दवा तैयार होती है।
ये वायरस को मानवीय कोशिकाओं में जाने से रोकती है, जिससे वायरस को न्यूट्रिशन नहीं मिलता, इस तरह ये दवा वायरस को रेप्लिकेट करने से रोकती है।
डॉक्टर त्रेहान ने बताया कि इस दवा की प्रभावकारिता (एफिकेसी) सत्तर प्रतिशत है।
ये दवा मृत्यु दर को भी अस्सी प्रतिशत तक कम करती है।.डॉक्टर त्रेहान ने इसकी कीमत के बारे में बताया कि एंटीबॉडी कॉकटेल के एक सिंगल डोज की कीमत सारे टैक्स मिलाकर 59,750 पड़ती है।
त्रेहान ने कहा कि उन्होंने कंपनियों से दवा की कीमत कम करने के लिए निवेदन किया है।
एंटीबॉडी कॉकटेल को कोरोना से पीड़ित पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को दिया गया था।
इसके उपयोग की अमेरिका में भी अनुमति है, भारत सरकार ने भी इसके आपातकालीन उपयोग की अनुमति दे दी है।
इसे कोरोना पॉजिटिव आने के 48 से 72 घंटे के अंदर लिया जा सकता है। इसे लेने में 20 से 30 मिनट लगते हैं।
इसके बाद एक घंटे तक मरीज को निगरानी में रखा जाता है ताकि ये देखा जा सके कि कोई रिएक्शन तो नहीं हुआ। बच्चों को भी ये दवा दी जा सकती है मगर उनका वजन कम से कम 40 किलो होना चाहिए।