नई दिल्ली: होम आइसोलेशन में रह रहे कोरोना मरीजों के घर के बाहर पोस्टर लगाने के मामले पर सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि ऐसा करने का निर्देश उसकी ओर से नहीं दिया गया।
राज्य सरकारों ने सम्भवत इसलिए ऐसा किया होगा ताकि उस एरिया से कोई अजनबी शख्स बिना एहतियात के कोरोना मरीज के संपर्क में ना आये।
कोर्ट ने केंद्र के पक्ष को लेकर याचिकाकर्ता को जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया। मामले की अगली सुनवाई 3 दिसम्बर को होगी।
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हकीकत यह है कि जब ऐसा कोई पोस्टर किसी कोरोना मरीज के घर के बाहर चस्पा हो जाता है तो समाज उसे अछूत की तरह देखने लगता है।
पिछली 5 नवम्बर को कोर्ट ने केंद्र को नोटिस जारी किया था। याचिका में कहा गया है कि कई राज्य ऐसा कर रहे हैं।
याचिका में कहा गया है कि होम आइसोलेशन में रहनेवाले मरीजों के घर के बाहर पोस्टर लगाना मरीज की निजता के अधिकार का हनन है।
कोरोना संक्रमित मरीजों को इतनी निजता देनी चाहिए कि वो इस बीमारी से शांतिपूर्वक उबर सकें और लोगों की चर्चा का केंद्र बनने से बच सकें।
इसके अलावा लोग खुलेआम अपना टेस्ट कराने से बच रहे हैं ताकि क्योंकि उन्हें भी अपने सामाजिक बहिष्कार का डर सताता है।