नई दिल्ली: विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा भारत में सबसे पहले मिले कोविड-19 वेरिएंट, यानी डेल्टा वेरिएंट का बस एक स्ट्रेन ही अब चिंता का विषय है, बाकी दो स्ट्रेन का खतरा कम हो गया है। कोरोना के इस वेरिएंट को बी.1.617 के नाम से जाना जाता है।
यह ट्रिपल म्यूटेंट वेरिएंट है क्योंकि यह तीन प्रजातियों (लिनिएज) में है।
बीते महीने डब्ल्युएचओ ने इस वेरिएंट के पूरे स्ट्रेन को वेरिएंट ऑफ कंसर्न यानी चिंता वाला वेरिएंट बताया था, जिसके बाद भारत सरकार ने अपनी आपत्ति दर्ज की थी।
डब्ल्यूएचओ ने कहा कि अब बड़े स्तर पर पब्लिक हेल्थ के लिए बी.1.617.2 वेरिएंट खतरा बना हुआ है, जबकि दूसरे स्ट्रेन के संक्रमण का प्रसार कम हो गया है।
संयुक्त राष्ट्र की स्वास्थ्य एजेंसी ने कोविड-19 के बी.1.617.1 स्वरूप को कप्पा नाम दिया है तथा बी.1.617.2 स्वरूप को डेल्टा नाम दिया है। वायरस के ये दोनों ही स्वरूप पहले भारत में सामने आए थे।
इस तरह का एक स्वरूप जो सबसे पहले ब्रिटेन में नजर आया था और जिसे अब तक बी.1.1.7 नाम से जाना जाता है उसे अब से अल्फा स्वरूप कहा जाएगा।
वायरस का बी.1.351 स्वरूप जिसे दक्षिण अफ्रीकी स्वरूप के नाम से भी जाना जाता है उसे बीटा स्वरूप के नाम से जाना जाएगा। ब्राजील में पाया गया पी.1 स्वरूप गामा और पी.2 स्वरूप जीटा के नाम से पहचाना जाएगा।
अमेरिका में पाए गए वायरस के स्वरूप ‘एपसिलन तथा ‘लोटा के नाम से पहचाने जाएंगे। आगे आने वाले चिंताजनक स्वरूपों को इसी क्रम में नाम दिया जाएगा। डब्ल्यूएचओ ने कहा कि यह नई व्यवस्था विशेषज्ञों के समूहों की देन है।
उसने कहा कि वैज्ञानिक नामावली प्रणाली को खत्म नहीं किया जाएगा और नई व्यवस्था, स्वरूपों के ”सरल, बोलने तथा याद रखने में आसान नाम देने के लिए है।
इससे पहले, 12 मई को भारत के स्वास्थ्य मंत्रालय ने उन मीडिया रिपोर्टों को ”निराधार बताते हुए खारिज कर दिया था जिनमें बी.1.617 प्रकार को ‘भारतीय स्वरूप’ कहा गया था।
उल्लेखनीय है कि इस स्वरूप को डब्ल्यूएचओ ने हाल में ‘वैश्विक चिंता’ वाला स्वरूप बताया था।